राजस्थान का चमत्कारी गणेश मंदिर: उल्टा स्वास्तिक बनाओ, बिगड़े काम बनाओ!

राजस्थान के जयपुर में नाहरगढ़ पहाड़ी की तलहटी में स्थित एक ऐसा अनोखा गणेश मंदिर है, जो अपनी चमत्कारी मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर की सबसे अनूठी बात यह है कि यहां भक्त भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए सीधा नहीं, बल्कि उल्टा स्वास्तिक बनाते हैं। मान्यता है कि यहां उल्टा स्वास्तिक बनाने से जीवन की हर मुश्किल दूर होती है, और बिगड़े हुए काम चमत्कारिक रूप से बन जाते हैं। करीब 250 साल पुराने इस मंदिर में गणेश चतुर्थी 2024 के मौके पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ने वाला है। खास बात यह है कि यहां की गणेश मूर्ति पत्थर या मिट्टी की नहीं है, बल्कि यह एक दिव्य और रहस्यमयी मूर्ति है, जिसे लेकर भक्तों की आस्था और भी गहरी है। जन्मोत्सव के दौरान, यहां विशेष पूजा-अर्चना और धार्मिक कार्यक्रम होंगे, जहां दूर-दूर से आए भक्त भगवान गणेश का आशीर्वाद पाने के लिए उल्टा स्वास्तिक बनाएंगे। इस मंदिर की चमत्कारी मान्यता और अनोखी परंपरा ने इसे राजस्थान में आस्था का प्रमुख केंद्र बना दिया है। इस बार की गणेश चतुर्थी पर, अगर आप भी अपने बिगड़े काम बनाना चाहते हैं, तो जयपुर के इस चमत्कारी गणेश मंदिर में आकर उल्टा स्वास्तिक बनाना न भूलें! Ganesh Chaturthi 2024 ऐसे पड़ा नहर के गणेश नाम जयपुर के नाहरगढ़ पहाड़ी की तलहटी में इस मंदिर को बनाया गया था। यहां से पहले से ही एक नहर बहा करती है। इसके किनारे होने के कारण इस मंदिर को नाम नहर वाले गणेशजी के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर की विशेषता यह भी है कि यहां के गणेश जी की दाहिनी सूंड है। Ganesh Chaturthi 2024 muhurat क्या है उल्टे स्वास्तिक का रहस्य भगवान गणेश का चिन्ह स्वास्तिक माना जाता है। विवाह हो या बच्चे का जन्म या कोई शुभ काम सभी में स्वास्तिक बनाकर शुरुआत की जाती है। लेकिन ये ऐसा मंदिर है जहां सीधे की जगह उल्टा स्वास्तिक बनाया जाता है। ऐसा करने से लोगों के सारे बिगड़े काम बनने लगते हैं। ऐसा करने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं। मंदिर के युवाचार्य मानव शर्मा बताते हैं कि यहां भक्त अपनी मान्यताओं के आधार पर ऐसा करते हैं। हालांकि मंदिर प्रशासन ने कभी स्वास्तिक को उल्टा बनाने को नहीं कहा। Chamatkari mandir भस्म से बने है भगवान गणेश Nahar Ke ganesh mandir यज्ञ की भस्म से भगवान गणेश बने हैं। बताया जाता है व्यास राम चंद्र ऋग्वेदी ने प्राण प्रतिष्ठित की थी। इन्हीं के पांचवी पीढ़ी के वंशज आज यहां पूजा करते हैं। दाहिनी सूंड वाले भगवान गणेश तंत्र विधान के लिए पूजे जाते हैं। यहां वर्षभर अलग—अलग त्योहारों पर विशेष पूजा अर्चना की जाती है।

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