जयपुर। पौष का माह बुधवार से प्रारंभ होगा। इसके साथ ही छोटी काशी के
मंदिरों एवं धार्मिक स्थलों पर पौष बड़ों के आयोजन शुरू हो जाएंगे। एक माह
तक पौष बड़ों का दौर चलेगा। कही पंगत प्रसादी तो कही दोना प्रसादी होगी।
कही लक्खी पौष बड़ा तो कही छोटे आयोजन होंगे। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार
पौष माह में मल मास आने से शुभ कार्य वर्जित माने गए है, ऐसे में पूरे
महिने मंदिरों एवं अन्य स्थानों पर पौष बड़ा महोत्सव आयोजनों की धूम मची
रहती है। पौष माह के दौरान देवी-देवताओं को दाल के बड़े और हलवे का भोग
लगाने परंपरा है। ऐसे में महिने भर भगवान के साथ भक्त भी गर्मा गर्म दाल के
बड़े, हलवा और मिक्स सब्जी जी माया जाएगा। कृष्ण पक्ष में छोटे आयोजन
ज्यादा होंगे, जबकि शुक्ल पक्ष में बड़ी तादाद में आयोजन होंगे। इस बार
पौष बड़ों के आयोजनों पर नोट बंदी का असर दिखाई देगा। इसके चलते कई जगहों
पर आयोजनों में कटौती की संभवना से इंकार नहीं किया जा सकता है।
यहां होंगे है लक्खी आयोजन
जयपुर के कदम्ब डूंगरी, घाट के बालाजी, बंगाली बाबा आश्रम, रलावता की बेरी, खोले के हनुमानजी सहित एक दर्जन बड़े मंदिरों में लक्खी पौष-बड़ा का आयोजन होता है। यहां पर पौष-बड़े में लोगों को बैठाकर दाल के बड़े, हलवा, पूड़ी और गड्डे की सब्जी जीमाई जाती है। जहां पर पचास हजार से ज्यादा लोगों बैठकर प्रसादी ग्रहण करते हैं।
इनका लगता है भोग
पौष बड़े में भगवान को चौले की दाल के बड़े, मोटे आटे या सूजी का गुड़ से बना हलवा, हरी सब्जियों को मिलाकर बनाई गड्डे की सब्जी और पूड़ी का भोग लगाया जाता है। बड़ों में काली मिर्च, लौंग सहित तेज मसालों का उपयोग किया जाता है। भगवान को भोग लगाने के बाद दोना प्रसादी या पंगत प्रसादी का आयोजन होता है।
व्यपार जगत के लिए शुभ
इस बार पौष माह में पांच बुधवार और पांच गुरुवार पड़ेंगे। इस कारण व्यापार जगत के लिए यह पौष माह उत्तम साबित होगा।
यहां होंगे है लक्खी आयोजन
जयपुर के कदम्ब डूंगरी, घाट के बालाजी, बंगाली बाबा आश्रम, रलावता की बेरी, खोले के हनुमानजी सहित एक दर्जन बड़े मंदिरों में लक्खी पौष-बड़ा का आयोजन होता है। यहां पर पौष-बड़े में लोगों को बैठाकर दाल के बड़े, हलवा, पूड़ी और गड्डे की सब्जी जीमाई जाती है। जहां पर पचास हजार से ज्यादा लोगों बैठकर प्रसादी ग्रहण करते हैं।
इनका लगता है भोग
पौष बड़े में भगवान को चौले की दाल के बड़े, मोटे आटे या सूजी का गुड़ से बना हलवा, हरी सब्जियों को मिलाकर बनाई गड्डे की सब्जी और पूड़ी का भोग लगाया जाता है। बड़ों में काली मिर्च, लौंग सहित तेज मसालों का उपयोग किया जाता है। भगवान को भोग लगाने के बाद दोना प्रसादी या पंगत प्रसादी का आयोजन होता है।
व्यपार जगत के लिए शुभ
इस बार पौष माह में पांच बुधवार और पांच गुरुवार पड़ेंगे। इस कारण व्यापार जगत के लिए यह पौष माह उत्तम साबित होगा।

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