जयपुर। 5 जून से 5 जुलाई यानि 31 दिन के अंदर 3 ग्रहण पड़ेंगे। 5 जून को चंद्र ग्रहण, 21 जून को सूर्य ग्रहण व 5 जुलाई को फिर से चंद्र ग्रहण। धार्मिक दृष्टि ने 5 जून व 5 जुलाई को पड़ने वाले ग्रहण देश में मान्य नहीं होंगे। 21 जून को पड़ने वाला 3 घंटे 27 मिनट का सूर्य ग्रहण मान्य होगा। एक माह में 3 ग्रहण व 6 ग्रहों का वक्री होना शुभ संकेत नहीं है। प्राकृतिक आपदा, महामारी से जन जीवन अस्त व्यस्त होने की आशंका है। ग्रहण काल के दौरान अपने इष्ट की आराधना से इन्हें कम किया जा सकता है। पं राजकुमार चतुर्वेदी बताते हैं कि 21 जून के सूर्य ग्रहण का सूतक 20 जून को रात्रि 10.10 बजे से लग जाएगा। सूर्य ग्रहण का सूतक 12 घंटे पहले शुरू होता है। 21 जून को सुबह 10.10 बजे ग्रहण का स्पर्श काल होगा। सुबह 11.48 बजे मध्यकाल। दोपहर 1.37 बजे पर ग्रहण का मोक्ष (शुद्धि) काल होगा। एक माह में तीन ग्रहण व एक साथ 6 ग्रह बुध, शुक्र,शनि, गुरु,राहु व केतू का वक्री होना शुभ संकेत नहीं है। इनके प्रभाव से प्राकृतिक आपदा, महामारी, तूफान आदि का आशंकाएं हैं। इससे जन जीवन अस्त व्यस्त हो सकता है। पंडित पांडेय ने बताया कि ग्रहण व वक्री ग्रहों के दुष्प्रभावों को अपने इष्ट की आराधना, जप,हवन आदि से कम किया जा सकता है। ग्रहण काल में इष्ट की साधना जरुरी है।
आषाढ़ कृष्ण अमावस्या रविवार 21 जून को पड़ने वाला सूर्य ग्रहण मेष, सिंह, मकर व कन्या राशि के लिए शुभ,वृष, तुला, कुंभ व धनु राशि के लिए सामान्य व मिथुन, वृश्चिक, मीन व कर्क राशि के लिए अशुभ है। जिनके लिए ग्रहण अशुभ है, वह ग्रहण के दर्शन न करें। ग्रहण नवविवाहिता स्त्री,व्यापारी, मंत्री, धार्मिक नेता आदि के लिए अच्छा नहीं हैं।
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