धर्म ग्रंथों के अनुसार, यज्ञ की रचना सर्वप्रथम परमपिता
ब्रह्मा ने की। यज्ञ का संपूर्ण वर्णन वेदों में मिलता है। यज्ञ का दूसरा
नाम अग्नि पूजा है। यज्ञ से देवताओं को प्रसन्न किया जा सकता है। साथ ही,
मनचाहा फल भी प्राप्त किया जा सकता है।
*ईश्वर का मुख है अग्नि*
धर्म ग्रंथों में अग्नि को ईश्वर का मुख माना गया है। इसमें
जो कुछ खिलाया (आहुति) जाता है, वास्तव में ब्रह्मभोज है। यज्ञ के मुख में
आहुति डालना, परमात्मा को भोजन कराना है। नि:संदेह यज्ञ में देवताओं की
आवभगत होती है।
*गीता में कहा है*
*अन्नाद्भवंति भूतानि पर्जन्याद्न्नसम्भव:।*
*यज्ञाद्भवति पर्जन्यो यज्ञ: कर्मसमद्भव:॥*
*यज्ञाद्भवति पर्जन्यो यज्ञ: कर्मसमद्भव:॥*
*अर्थात*- समस्त प्राणी अन्न से उत्पन्न होते हैं और अन्न की
उत्पत्ति वर्षा से होती है। वर्षा यज्ञ से होती है और वह यज्ञ कर्म से होता
है।
*यज्ञ से जुड़ा विज्ञान*
यज्ञ एक महत्वपूर्ण विज्ञान है। इसमें जिन वृक्षों की समिधाएं
उपयोग में लाई जाती हैं, उनमें विशेष प्रकार के गुण होते हैं। किस प्रयोग
के लिए किस प्रकार की सामग्री डाली जाती है, इसका भी विज्ञान है। उन
वस्तुओं के मिश्रण से एक विशेष गुण तैयार होता है, जो जलने पर वायुमंडल में
विशिष्ट प्रभाव पैदा करता है। वेद मंत्रों के उच्चारण की शक्ति से उस
प्रभाव में और अधिक वृद्धि होती है। जो व्यक्ति उस यज्ञ में शामिल होते
हैं, उन पर तथा निकटवर्ती वायुमंडल पर उसका बड़ा प्रभाव पड़ता है।
वैज्ञानिक अभी तक कृत्रिम वर्षा कराने में सफल नहीं हुए हैं, किंतु यज्ञ
द्वारा वर्षा के प्रयोग बहुधा सफल होते हैं। व्यापक सुख-समृद्धि, वर्षा,
आरोग्य, शांति के लिए बड़े यज्ञों की आवश्यकता पड़ती है, लेकिन छोटे हवन भी
हमें लाभान्वित करते हैं।
*हवन और यज्ञ में क्या फर्क है, जानिए*
हवन यज्ञ का छोटा रूप है। किसी भी पूजा अथवा जाप आदि के बाद
अग्नि में दी जाने वाली आहुति की प्रक्रिया हवन के रूप में प्रचलित है।
यज्ञ किसी खास उद्देश्य से देवता विशेष को दी जाने वाली आहूति है। इसमें
देवता, आहुति, वेद मंत्र, ऋत्विक, दक्षिणा अनिवार्य रूप से होते हैं। हवन
हिंदू धर्म में शुद्धीकरण का एक कर्मकांड है। कुंड में अग्नि के माध्यम से
देवता के निकट हवि पहुंचाने की प्रक्रिया को हवन कहते हैं।
हवि, हव्य अथवा हविष्य वह पदार्थ है, जिनकी अग्नि में आहुति
दी जाती हैं। हवन कुंड में अग्नि प्रज्ज्वलित करने के बाद इस पवित्र अग्नि
में फल, शहद, घी, काष्ठ (लकड़ी) आदि पदार्थों की आहुति प्रमुख होती है। ऐसा
माना जाता है कि यदि आपके आसपास किसी बुरी आत्मा इत्यादि का प्रभाव है तो
हवन प्रक्रिया इससे आपको मुक्ति दिलाती है। शुभकामना, स्वास्थ्य एवं
समृद्धि इत्यादि के लिए भी हवन किया जाता है।

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