जयपुर। श्राद्ध पक्ष या पितृ पक्ष की शुरुआत 2 सितंबर, बुधवार से हो गई। अगले 16 दिन पितरों के निमित्त कर्म किए जाएंगे। सोलह श्राद्ध का समापन 17 सितंबर को सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या के साथ होगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, पितृ पक्ष इस बार 16 के बजाय 17 दिन के होंगे। इसकी वजह पूर्णिमा तिथि का एक सितंबर को अनंत चतुर्दशी की दोपहर से प्रारंभ होना है। जो लोग अपने पितरों के निमित्त पूर्णिमा से पितृ मोक्ष अमावस्या तक नियमित रूप से तर्पण और श्राद्ध आदि कर्मकांड करेंगे, उनके लिए पितृ पक्ष 17 दिन का रहेगा, जबकि जो लोग अगले दिन प्रतिपदा से तर्पण शुरू करेंगे, उनके लिए यह पक्ष 16 दिन का ही रहेगा।
पितृ पक्ष के दौरान लोग श्राद्ध, तर्पण अनुष्ठान करते हैं और पिंड दान करते हैं। पिंड दान को दिवंगत आत्माओं के लिए भोजन के रूप में चढ़ाया जाता है। इसमें पके हुए चावल और काले तिल होते हैं। माना जाता है कि काले तिलों में नकारात्मक ऊर्जाओं को अवशोषित करने की शक्तियां होती हैं जो वायुमंडल में और शरीर के अंदर, दोनों में मौजूद होती हैं। इसलिए, पितृ पक्ष के दौरान आस-पास की सफाई के लिए काले तिल का उपयोग किया जाता है। पितृ पक्ष के अधिकांश लोग अशुभ अवधि मानते हैं। यही कारण है कि पितृ पक्ष के दौरान कोई भी शुभ समारोह जैसे गृहप्रवेश, विवाह, बच्चे का मुंडन या कोई अन्य कार्य नहीं होते हैं। लोगों को भी इस दौरान आराम या विलासिता या नशे के उत्पादों से दूर रहना चाहिए।
काले तिल का उपयोग करके लोग अपने मृत पूर्वजों का आह्वान करते हैं, जो पृथ्वी और स्वर्ग के बीच के क्षेत्र पितृ लोक में घूमते हैं। लोग विशिष्ट मंत्रों का जाप करते हुए पितृ को जल के साथ काले तिल चढ़ाते हैं। पुजारियों के अनुसार, इन मंत्रों (ध्वनियों) में ऊर्जा होती है, जो पिंड दान को स्वीकार करने के लिए मृत रिश्तेदारों को पृथ्वी पर आकर्षित करने के लिए काले तिलों का उपयोग किया जाता है।

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