जयपुर। राजस्थान में सरकार बदलने के बाद शिक्षा विभाग ने बाल गोपाल दूध योजना की समीक्षा शुरू कर दी है। इस योजना का मकसद स्कूली बच्चों को पौष्टिक आहार प्रदान करना था, लेकिन अब इसमें एक बड़ा बदलाव होने वाला है। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने दूध की जगह मिलेट्स देने के प्रस्ताव पर मंथन शुरू कर दिया है। आइए, इस संभावित बदलाव की गहराई में झांकते हैं।
दूध की सप्लाई में दिक्कतें
बाल गोपाल योजना, जिसे पूर्व कांग्रेस सरकार ने 2022 में शुरू किया था, का उद्देश्य कक्षा 1 से 8वीं तक के बच्चों को दूध प्रदान करना था। इसके तहत 69 लाख से ज्यादा स्टूडेंट्स को दूध पाउडर से बना दूध दिया जाता था—कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों को 150 मिलीलीटर और कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों को 200 मिलीलीटर। लेकिन इस योजना में कई समस्याएं सामने आईं।
दिलावर ने बताया कि कई स्कूलों में दूध पाउडर की सप्लाई सही समय पर नहीं पहुंच रही है। इसके अलावा, कुछ स्थानों पर बच्चे दूध पाउडर का विरोध भी कर रहे हैं। दूध की गुणवत्ता को लेकर भी समस्याएं रही हैं, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां गुणवक्ता युक्त दूध की उपलब्धता सुनिश्चित करना कठिन है।
नया प्रस्ताव: मिलेट्स
अब शिक्षा विभाग इस समस्या का समाधान निकालने की कोशिश कर रहा है। दिलावर ने संकेत दिए हैं कि दूध की जगह मिलेट्स (मोटा अनाज) देने पर विचार किया जा रहा है। उनका कहना है कि मिलेट्स पौष्टिकता में दूध से कम नहीं हैं और इन्हें हर जगह आसानी से उपलब्ध कराया जा सकता है।
बच्चों के स्वास्थ्य पर ध्यान
दिलावर ने स्पष्ट किया कि बीजेपी सरकार बच्चों की स्वास्थ्य के प्रति गंभीर है और कुपोषण को लेकर किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं बरतना चाहती। उनका उद्देश्य है कि बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ सही और पौष्टिक आहार भी मिले। इस बदलाव से सरकार का मकसद है कि स्कूलों में उपलब्ध खाद्य सामग्री की गुणवत्ता में सुधार हो और सभी बच्चों को समान लाभ मिल सके।
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भविष्य की दिशा
जल्द ही इस प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। अगर मिलेट्स की योजना लागू होती है, तो यह निश्चित रूप से एक महत्वपूर्ण बदलाव होगा और बच्चों की पोषण संबंधी जरूरतों को बेहतर ढंग से पूरा करने में सहायक हो सकता है।
इस नए प्रस्ताव से जुड़ी किसी भी जानकारी के लिए जुड़े रहें, और हमें बताएं कि आप इस बदलाव के बारे में क्या सोचते हैं।

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