पुलिस का 'ऑर्गेनाइज्ड क्राइम'! 2.04 करोड़ की अवैध वसूली का सनसनीखेज खुलासा, कोर्ट ने 44 पर मांगी रिपोर्ट
इस अवैध वसूली के मामले ने प्रदेश में पुलिस विभाग के भीतर के संगठित अपराध की भयावहता को उजागर कर दिया है। जांच की प्रतीक्षा में पूरा प्रदेश हैरान और सतर्क है।
CrimeInRajasthan:जयपुर। पुलिस की वर्दी में छिपे संगठित अपराध का बड़ा मामला उजागर हुआ है। जयपुर मेट्रो-द्वितीय की सीएमएम कोर्ट ने 2 डीएसपी, 6 एसएचओ, 2 एएसआई सहित 44 लोगों पर संगठित रूप से 2.04 करोड़ की अवैध वसूली करने का सनसनीखेज खुलासा किया है। कोर्ट ने एसओजी को मामले की गहन जांच कर 17 सितंबर 2024 तक रिपोर्ट देने का आदेश दिया है।
ऑनलाइन वसूली: 95 लाख सीधे तीन पुलिसवालों के खातों में
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि 2.04 करोड़ में से 1.34 करोड़ रुपये ऑनलाइन ट्रांसफर किए गए, जिसमें से 95 लाख तीन पुलिसकर्मियों के बैंक खातों में जमा हुए। इसके अलावा 70 लाख रुपये नकद वसूले गए। पीड़ित शंभूलाल गुर्जर ने बताया कि पुलिसकर्मियों ने झूठे केस में फंसाने की धमकी देकर यह रकम वसूली।
पीड़ित का आरोप – हनी-ट्रैप में फंसाकर 70 लाख जबरन उठाए
कार्गो व्यवसायी शंभूलाल गुर्जर का आरोप है कि पुलिसकर्मियों ने उन्हें हनी-ट्रैप में फंसाकर यातनाएं दीं। पहले 30 हजार रुपये मासिक वसूली से शुरू हुई मांग 12 लाख रुपये महीने तक जा पहुंची। 2022 में पुलिसवालों ने उनके ऑफिस से जबरन 70 लाख नकद उठा लिए।
44 लोगों का गैंग: पुलिसकर्मी, उनके परिचित और 7 शिक्षिकाएं शामिल
इस बड़े संगठित गिरोह में 24 पुलिसकर्मी, उनके करीबी और 7 शिक्षिकाएं शामिल हैं। इनमें भीलवाड़ा के तत्कालीन एएसपी देशराज, मसूदा के पूर्व सीओ राजेश कसाणा और अन्य प्रमुख पुलिसकर्मी शामिल हैं, जिन्होंने अवैध वसूली और झूठे केस में फंसाने का खेल खेला।
कोर्ट का कड़ा रुख – "पुलिस का संगठित अपराध, एसओजी जांच करे"
कोर्ट ने इसे संगठित अपराध मानते हुए कहा, "आरोपी पुलिसकर्मियों ने एक संगठित तरीके से वसूली की है।" कोर्ट ने इस मामले की एफआईआर दर्ज न होने पर भी सवाल उठाए। एसओजी को 17 सितंबर तक जांच रिपोर्ट देने का सख्त निर्देश दिया गया है, हालांकि एसओजी के एडीजी वीके सिंह ने रिवीजन याचिका दाखिल करने की बात कही है।

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