खतरनाक नैरेटिव सेट करने का आरोप": राहुल गांधी के बयान से भारतीय सिखों में बवाल, BJP की कांग्रेस पर तीखी प्रतिक्रिया
नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अमेरिका में वर्जीनिया के हर्नडॉन में आयोजित एक कार्यक्रम में भारत में सिखों की धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर एक बयान दिया जो तुरंत विवादों में आ गया। उन्होंने कहा कि भारत में सिखों के लिए पगड़ी और कड़ा पहनना, और गुरुद्वारा जाना एक बड़ा विवाद बन चुका है। गांधी का यह बयान भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति पर गंभीर सवाल उठाता है और इसे धार्मिक संवेदनशीलता से जोड़कर देखा जा रहा है।
भाजपा ने की तीखी आलोचना
राहुल गांधी की टिप्पणी पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। भाजपा ने आरोप लगाया कि गांधी का बयान 'खतरनाक नैरेटिव' पेश करता है, जिसका उद्देश्य भारत की छवि को विदेशी धरती पर धूमिल करना है। भाजपा नेताओं का कहना है कि गांधी चुनावी हार की हताशा में इस तरह के बयान दे रहे हैं ताकि भारत की लोकतांत्रिक और धार्मिक विविधता की छवि को नुकसान पहुंचाया जा सके।
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी की कड़ी प्रतिक्रिया
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने राहुल गांधी की टिप्पणी की जमकर आलोचना की है। पुरी ने गांधी के बयान को खालिस्तानी अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की भाषा से मिलती-जुलती बताया, जो भारत में आतंकवाद के आरोप में वांछित है। पुरी ने यह भी आरोप लगाया कि गांधी को 1984 के सिख दंगों के संदर्भ में बोलने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने बताया कि उस समय सिख समुदाय को पगड़ी और कड़ा पहनने से डर था, लेकिन आज की स्थिति में ऐसा कोई मुद्दा नहीं है।
1984 के दंगों का संदर्भ और पगड़ी का मुद्दा
पुरी ने यह भी स्पष्ट किया कि वह पिछले 60 वर्षों से पगड़ी और कड़ा पहनते आ रहे हैं और किसी ने इस पर कभी कोई शिकायत नहीं की। उन्होंने राहुल गांधी के बयान को पूरी तरह से तथ्यहीन और गैर-जिम्मेदार बताया। पुरी का कहना है कि गांधी का बयान विदेशों में सिख समुदाय को भड़काने की कोशिश कर रहा है और इससे भारत की छवि को नुकसान पहुंच सकता है।
राजनीतिक विवाद की गहराई
राहुल गांधी की टिप्पणी और भाजपा की तीखी प्रतिक्रिया ने भारतीय राजनीति में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। यह विवाद न केवल सिख समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता पर बल्कि भारतीय राजनीति में बयानबाजी और चुनावी रणनीतियों पर भी असर डाल सकता है। गांधी के बयान और भाजपा की आलोचना ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक महत्वपूर्ण चर्चा का विषय बना दिया है।

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