बैटिंग किट की कमी ने बॉलर बना दिया, अब भारतीय क्रिकेट टीम में गदर मचाएंगे चेतन शर्मा

चेतन शर्मा का अंडर-19 भारतीय क्रिकेट टीम में चयन सभी के लिए खुशी का कारण है, लेकिन इसके पीछे की कहानी एक कठिन संघर्ष की है। आर्थिक तंगी के कारण, चेतन के पास किराए के मकान के पैसे भी नहीं थे। इस स्थिति में, वह अपने दोस्त के साथ एक मंदिर में रात बिताते और सुबह होते ही ग्राउंड पर पहुंचकर प्रैक्टिस करते थे। उनकी यह कठिनाई और दृढ़ता ही उन्हें इस मुकाम तक ले आई।


भरतपुर। डीग जिले के कामां क्षेत्र के ग्राम सहेरा के चेतन शर्मा ने अंडर-19 भारतीय क्रिकेट टीम में चयन होकर सभी को अपने संघर्ष और समर्पण की कहानी से प्रेरित किया है। जहां उनकी इस उपलब्धि पर हर ओर खुशी का माहौल है, वहीं उनकी सफलता की सच्चाई में छिपी है कठिनाइयों से भरी एक प्रेरणादायक यात्रा।

संघर्ष की शुरुआत: एक सपने की ओर कदम

चेतन शर्मा ने अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत गांव में ही की, लेकिन जब उनकी क्रिकेट में गहरी रुचि बढ़ी, तो उन्हें अपनी क्षमता को साबित करने के लिए भरतपुर में जिला क्रिकेट संघ के परीक्षा में भाग लेना पड़ा। लेकिन आर्थिक संकट के कारण, चेतन के पास घर से दूर जाकर क्रिकेट प्रैक्टिस करने के लिए भी पैसे नहीं थे। इन कठिन परिस्थितियों के बावजूद, उन्होंने एक मंदिर में रात बिताई और सुबह ग्राउंड पर पहुंचकर प्रैक्टिस की। यह साबित करता है कि उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें सफलता की ओर ले जाने में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

परिवार का समर्थन: एक प्रेरणादायक कहानी
चेतन के पिता, दुष्यंत शर्मा, जो वृंदावन के एक मंदिर में पूजा-पाठ करके परिवार का पालन-पोषण करते हैं, ने अपने बेटे के सपनों को पूरा करने में हर संभव मदद की। 

पिता ने बताया कि जब घर की स्थिति इतनी खराब थी कि नियमित अभ्यास के लिए भरतपुर आना-जाना भी मुश्किल था, तो चेतन ने अपने मित्र के मंदिर में ठहरने का साहसिक निर्णय लिया। वहीं, वह मंदिर में सेवा भी करता था और क्रिकेट प्रैक्टिस के साथ-साथ जीवन के अन्य पहलुओं को भी संजीवनी शक्ति प्रदान करता था।


खुद पर विश्वास और समर्थन से मिली सफलता

चेतन की क्रिकेट यात्रा में महत्वपूर्ण मोड़ तब आया जब जिला क्रिकेट संघ के सचिव शत्रुघ्न तिवारी ने उनकी प्रतिभा को पहचाना और उन्हें कोचिंग देने का प्रस्ताव दिया। 

तिवारी  ने दिल्ली और जयपुर में आगे की प्रशिक्षण की व्यवस्था की, जिससे चेतन की क्षमता को निखारा जा सका।

 पिता दुष्यंत ने बताया कि उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उनका बेटा इतनी ऊंचाइयों तक पहुंचेगा। माता प्रिया देवी और बड़ा भाई दान बिहारी शर्मा भी इस सफलता के जश्न में शामिल हैं, और चेतन स्वयं 12वीं कक्षा की पढ़ाई भी कर रहा है।

प्रेरणा का प्रतीक: चेतन शर्मा की कहानी

चेतन शर्मा की यह प्रेरणादायक सफलता की कहानी केवल एक क्रिकेट खिलाड़ी की नहीं, बल्कि यह संघर्ष, समर्पण और परिवार के अटूट समर्थन की मिसाल है। उनके जीवन के इस सफर ने सभी को यह सिखाया है कि अगर इरादा मजबूत हो और सपनों को पूरा करने का जुनून हो, तो किसी भी मुश्किल को पार किया जा सकता है।


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