जावेद की जमानत याचिका में दावा किया गया था कि एनआईए ने उसे सिर्फ कॉल डिटेल के आधार पर गिरफ्तार किया, जबकि मोबाइल लोकेशन और सीसीटीवी फुटेज में उसके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं हैं। याचिका में यह भी कहा गया कि जावेद लंबे समय से जेल में बंद है और उसे जमानत पर रिहा किया जाना चाहिए।
सरकारी वकील का कड़ा विरोध:
सरकारी वकील ने इस याचिका का विरोध करते हुए तर्क दिया कि जावेद हत्याकांड की जड़ में शामिल रहा है और उसने मुख्य आरोपियों को कन्हैयालाल के दुकान में होने की सूचना दी थी। इस आधार पर, जावेद को जमानत पर रिहा करना उचित नहीं होगा।
अदालत की प्रतिक्रिया:
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, अदालत ने जावेद को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए। यह निर्णय इस जघन्य हत्या मामले में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखा जा रहा है।
मामले की पृष्ठभूमि:
28 जून 2022 को उदयपुर में कन्हैया लाल टेलर की हत्या कर उसका सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल कर दिया गया था। एनआईए ने इस मामले में रियाज अत्तारी और गौस मोहम्मद समेत अन्य आरोपियों को गिरफ्तार कर आरोप पत्र दाखिल किया था। इससे पहले, आरोपी फरहाद मोहम्मद को भी जमानत मिल चुकी है, जबकि पाकिस्तानी निवासी सलमान और अबू इब्राहिम फरार हैं।
जावेद की जमानत पर हाईकोर्ट का यह आदेश कन्हैयालाल टेलर हत्याकांड की जांच और न्यायिक प्रक्रिया में नए विवाद और सवाल खड़े कर रहा है। यह मामला अब राजनीतिक और सामाजिक चर्चाओं का नया केंद्र बन चुका है।

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