क्यों कहा किरोड़ी लाल मीणा ने, 'अगर भगवान राम को भी सिंहासन छोड़ना पड़ा, तो मेरे लिए इसका क्या महत्व?
Rajasthan Politics: सवाई माधोपुर। सवाई माधोपुर के बजरिया में चल रही रामकथा के अवसर पर पूर्व मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने अपनी भावनाओं और विचारों को खुलकर साझा किया। कथावाचक मुरलीधर महाराज से आशीर्वाद लेने पहुंचे किरोड़ी लाल मीणा ने अपने संबोधन में राजनीति की मौजूदा स्थिति, अपने इस्तीफे और जनता की सेवा के प्रति अपनी निष्ठा पर गहरी बात की।
डॉ. मीणा ने वर्तमान राजनीति की आलोचना करते हुए कहा कि जैसे राजनेताओं की सोच बदल गई है, वैसे ही जनता की सोच भी बदल गई है। उन्होंने गंगापुरसिटी का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां जनता ने उस उम्मीदवार को फिर से चुना, जिसने आदिवासी और मीणा समुदाय को हिंदू नहीं मानने की टिप्पणी की थी। मीणा ने इस स्थिति को लेकर प्रश्न उठाया, "इसमें गलती किसकी है?"
इस्तीफे के बारे में बोलते हुए, किरोड़ी लाल मीणा ने खुलासा किया कि उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है और मुख्यमंत्री से कई बार अपने इस्तीफे को स्वीकार करने की गुजारिश की है। उन्होंने कहा, "मैंने 45 वर्षों तक सवाई माधोपुर, टोंक, दौसा, अलवर, करौली, भरतपुर, धौलपुर क्षेत्र की जनता की सेवा की है। मैंने पीएम मोदी से कहा था कि मैं पूर्वी राजस्थान की सातों सीटें जिताउंगा, लेकिन खुद अपनी सीट भी हार गया। इस हार के बाद मैंने घोषणा की थी कि मैं मंत्री पद से इस्तीफा दे दूंगा।"
किरोड़ी लाल मीणा ने अपने इस्तीफे की वजह बताते हुए कहा, "मंत्री बनने पर मैं खुद को शिखंडी महसूस करता था। मैंने जो कुछ भी किया, वह जनता की सेवा के लिए था, न कि व्यक्तिगत लाभ के लिए। हठिले हम्मीर की तरह, जिसने अपने वचन को निभाने के लिए प्राणों की आहुति दी लेकिन सिर नहीं झुकाया, मैं भी जनता के सामने सिर झुकाने के लिए तैयार हूं।"
उन्होंने भगवान राम का उदाहरण देते हुए कहा कि भगवान राम को सिंहासन पर बैठने के बावजूद वनवास जाना पड़ा। मीणा ने कहा, "अगर भगवान राम को भी सिंहासन छोड़ना पड़ा, तो मेरे लिए सिंहासन का कोई महत्व नहीं है। मैं लड़ता रहूंगा और जनता की सेवा करता रहूंगा। मैं यहां कोई राजनीतिक भाषण नहीं दे रहा, बल्कि अपनी मन की पीड़ा और सच्चाई व्यक्त कर रहा हूं।"
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