NoMoreTollBooths:नई दिल्ली: भारतीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने मंगलवार को एक ऐतिहासिक सुधार की घोषणा की है जो यात्रा करने के तरीके को पूरी तरह बदलने वाला है। आने वाले समय में, आपको टोल नाकों पर रुककर टोल टैक्स का भुगतान नहीं करना पड़ेगा। जी हां, अब टोल वसूली जीपीएस आधारित नई प्रणाली से की जाएगी!
यह नई तकनीक भारत की सड़क यात्रा को एक नई दिशा देने जा रही है। बिना रुके, स्मार्ट और स्वचालित टोल वसूली की इस प्रणाली से न सिर्फ आपका समय बचेगा, बल्कि यात्रा अनुभव भी बेहतर होगा। एक नई युग की शुरुआत में आपका स्वागत है!
क्या है जीपीएस आधारित टोल संग्रह प्रणाली?
इस नई प्रणाली में वाहन में लगे जीपीएस और ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) की मदद से टोल वसूला जाएगा। वाहन में लगने वाले ऑन-बोर्ड यूनिट्स (OBU) के माध्यम से यात्रा की गई दूरी की सटीक गणना की जाएगी। इससे न सिर्फ टोल नाके की जरूरत समाप्त हो जाएगी, बल्कि आपको लंबी कतारों में खड़ा होने से भी छुटकारा मिल जाएगा।
मुख्य विशेषताएँ:
स्वचालित और जाम-मुक्त यात्रा: टोल नाके पर रुकने की अब कोई ज़रूरत नहीं। जीपीएस के माध्यम से यात्रा की गई दूरी के अनुसार स्वचालित रूप से टोल शुल्क वसूला जाएगा।
20 किलोमीटर तक मुफ्त यात्रा: जीएनएसएस से लैस निजी वाहनों के मालिकों को रोजाना 20 किलोमीटर तक यात्रा करने पर कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। इसके बाद की दूरी पर टोल चार्ज लागू होगा।
FASTag से अलग: यह नई प्रणाली FASTag के RFID तकनीक से अलग है। GPS और GNSS का उपयोग कर यह सिस्टम अधिक सटीकता और पारदर्शिता के साथ दूरी आधारित टोलिंग सुनिश्चित करेगा।
ऑन-बोर्ड यूनिट्स (OBU): वाहनों में OBU या ट्रैकिंग डिवाइस लगाए जाएंगे जो यात्रा की सटीक दूरी की गणना करेंगे। ये डिवाइस वाहन निर्माताओं द्वारा उपलब्ध कराए जाएंगे और आसानी से स्थापित किए जा सकेंगे।
कैसे काम करेगी नई प्रणाली?
नए सिस्टम के तहत, OBU डिवाइस वाहन की यात्रा की सटीक स्थिति को ट्रैक करेगा और टोल शुल्क स्वचालित रूप से आपके लिंक किए गए बैंक खाते से काटा जाएगा। जीपीएस और GNSS की सटीकता से टोल वसूली को प्रभावी और पारदर्शी बनाया जाएगा।
पायलट प्रोजेक्ट्स और भविष्य की योजना:
कर्नाटक और हरियाणा में इस प्रणाली का पायलट प्रोजेक्ट शुरू कर दिया गया है। इन प्रोजेक्ट्स की सफलता के बाद, यह प्रणाली देशभर के प्रमुख एक्सप्रेसवे और राष्ट्रीय राजमार्गों पर लागू की जाएगी। मंत्रालय का इरादा है कि FASTag के साथ इसे एकीकृत किया जाए, जिससे दोनों प्रणालियाँ एक साथ काम कर सकें।
आगे की राह:
नई जीपीएस आधारित टोल प्रणाली से न केवल यात्रा का समय बचेगा, बल्कि यातायात प्रबंधन में भी सुधार होगा। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) का अनुमान है कि इस नई प्रणाली के लागू होने से टोल राजस्व में एक महत्वपूर्ण वृद्धि हो सकती है।
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