FinancialCrime: राजस्थान में जीएसटी चोरी का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें फर्जी दस्तावेजों के जरिए तीन कंपनियां बनाकर 54 अन्य फर्मों से व्यापार के झूठे बिल तैयार किए गए। महज एक से डेढ़ साल के भीतर इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) और जीएसटी रिफंड के नाम पर 166 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी की गई।
क्या है पूरा मामला?
जीएसटी खुफिया महानिदेशालय (DGGI) की रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले का मास्टरमाइंड 26 वर्षीय वीरेंद्र उर्फ कल्पेश कुमार है, जिसने अपने दो साथियों कृष्ण कुमार और दिनेश कुमार के साथ मिलकर यह गोरखधंधा किया। विशेषज्ञों का मानना है कि 18 प्रतिशत जीएसटी के हिसाब से यह फर्जीवाड़ा 1 हजार करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है।
जांच की आग में वीरेंद्र का नाम
भास्कर की टीम ने मामले की सच्चाई जानने के लिए वीरेंद्र के बाड़मेर स्थित घर पर जाकर जांच की। उसके पिता हेमाराम ने बताया कि वे महाबार स्थित एक बैंक से लोन लेकर ट्रैक्टर खरीदने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। वीरेंद्र जयपुर में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा है।
फर्जी कंपनियों की परतें उधड़ती हुई
डीजीजीआई ने जब अप्रैल 2024 में कार्रवाई की, तो पता चला कि फर्जी कंपनियों का मुख्य पता गोवा और महाराष्ट्र में था, लेकिन वहां कोई कार्यालय नहीं मिला। जब टीम ने जांच शुरू की, तो पाया कि एसके एंटरप्राइजेज और आरके एंटरप्राइजेज एक ही आईपी एड्रेस का उपयोग कर रही थीं।
गिरफ्तारी का बड़ा झटका
वीरेंद्र और दिनेश कुमार को जीएसटी खुफिया महानिदेशालय की पुणे इकाई ने गिरफ्तार कर लिया है, जबकि तीसरा साथी कृष्ण कुमार अब भी फरार है। जांच में यह भी सामने आया कि वीरेंद्र के बैंक खाते में करोड़ों का लेन-देन हुआ है, जिसे मुख्य आरोपी माना जा रहा है।
927 करोड़ के घोटाले की संभावना
विशिष्ट लोक अभियोजक आरएन यादव के अनुसार, इस मामले में फर्जी कंपनियों के जरिए एक ही वस्तु से संबंधित बिल तैयार किए गए और जीएसटी रिफंड उठाया गया। ऐसा लगता है कि बिना वास्तविक माल की आपूर्ति के इनवॉइस तैयार की गई हैं। यदि यह फर्जी बिलिंग 18 प्रतिशत जीएसटी के तहत की गई, तो घोटाला 927 करोड़ तक पहुंच सकता है।
पिता का बयान: झूठे आरोपों का शिकार
वीरेंद्र के पिता ने कहा कि उनके बेटे को झूठे आरोपों में फंसाया गया है और वह प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा है। उन्होंने कहा, "अगर बेटे के पास पैसे होते, तो वह हमें जरूर लाता।"
यह मामला न केवल जीएसटी चोरी के गंभीर आरोपों को उजागर करता है, बल्कि इसे अंजाम देने वालों की चतुराई और जांच प्रक्रिया की जटिलताओं को भी दिखाता है। अब सवाल यह है कि क्या सरकार इस फर्जीवाड़े को पूरी तरह से खत्म कर पाएगी?
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