Pitru Paksha 2024: जयपुर – हिंदू सनातन धर्म में श्राद्ध पक्ष का एक अनूठा और दिव्य महत्व है। इस वर्ष 17 सितंबर से 3 अक्टूबर तक चलने वाले श्राद्ध पक्ष में विशेष धार्मिक अनुष्ठान होंगे, जिसमें प्रमुख तीर्थस्थली पुष्कर में हजारों श्रद्धालु शामिल होंगे।
पुष्कर का महत्व: श्राद्ध की पवित्र धरती
पुष्कर, जिसे हिंदू धर्म में तीर्थराज माना जाता है, यहां श्राद्ध कर्म का अनूठा महत्व है। भगवान श्री राम ने अपने पिता दशरथ का श्राद्ध पुष्कर की पवित्र धरती पर किया था। इस दौरान, पुष्कर के 52 घाटों पर और बूढ़ा पुष्कर तथा गया कुंड में विशेष श्राद्ध कर्म आयोजित होंगे।
प्रमुख तिथियां और विशेष अनुष्ठान
- 17 सितंबर: पूर्णिमा का श्राद्ध और अनंत चतुर्दशी – विशेष व्रत
- 18 सितंबर: प्रतिपदा का श्राद्ध – ग्रहण की मान्यता नहीं होगी
- 19 सितंबर: दूज का श्राद्ध
- 20 सितंबर: तृतीया का श्राद्ध
- 21 सितंबर: चतुर्थी का श्राद्ध
- 22 सितंबर: पंचमी और छठ का संयुक्त श्राद्ध
- 23 सितंबर: सप्तमी का श्राद्ध
- 24 सितंबर: अष्टमी का श्राद्ध
- 25 सितंबर: नवमी का श्राद्ध
- 26 सितंबर: दशमी का श्राद्ध
- 27 सितंबर: एकादशी का श्राद्ध
- 29 सितंबर: द्वादशी का श्राद्ध
- 30 सितंबर: त्रयोदशी का श्राद्ध
- 1 अक्टूबर: चतुर्दशी का श्राद्ध – विशेष आत्मिक शांति और मोक्ष के लिए
- 2 अक्टूबर: देव पितृ या सर्वप्रथम अमावस्या – दिवंगतों के लिए विशेष तर्पण
- 3 अक्टूबर: माता, नाना, नानी का श्राद्ध और नवरात्रि की शुरुआत
ब्रह्मा की पितृ मेघ यज्ञ
भाद्रपद की पूर्णिमा से आश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक 16 दिन तक श्राद्ध पक्ष मनाया जाता है। वेदों के अनुसार, इस अवधि में पूर्वज धरती पर आते हैं और उनकी पूजा से धन, ऐश्वर्य और वंशवृद्धि होती है। पुष्कर में ब्रह्मा ने पितृ मेघ यज्ञ किया था, जिससे यह तीर्थ अत्यधिक महत्वपूर्ण हो गया है।
श्राद्ध कर्म के दौरान, अगर कोई तीर्थ स्थान पर नहीं जा सकता, तो वह अपने स्थानीय जलाशय पर भी पितरों के निमित्त तर्पण कर सकता है। पुष्कर में पिंडदान करने से श्रद्धालुओं के सात कुलों का उद्धार होता है, और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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