RSS प्रमुख डॉ. मोहन भागवत का बड़ा बयान: ‘हमारे संस्कार खतरे में हैं’, जानिए क्या है पूरा मामला”

 RSS Head Mohan BHagwat In Alwar : अलवर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने राजस्थान के अलवर में एक शक्तिशाली भाषण के दौरान हिंदू धर्म और सामाजिक समस्याओं पर गहरी चिंता जताई। उनकी इस सभा ने न केवल संघ की कार्यशैली को लेकर नई दिशा दी, बल्कि सामाजिक समरसता और पारिवारिक संस्कारों पर भी महत्वपूर्ण बातें कहीं।

हिंदू धर्म: मानवता और वैश्विक कल्याण की खोज

डॉ. भागवत ने स्पष्ट किया कि हिंदू धर्म केवल धार्मिक नहीं, बल्कि एक मानवता और वैश्विक कल्याण की धारणा है। उनका कहना था कि हिंदू धर्म की अवधारणा एक उदार मानवता की है जो सबके कल्याण की कामना करती है। यह धर्म सभी को एकजुट रखने और उनकी भलाई के लिए काम करता है, जिससे समाज में सकारात्मक बदलाव आए।

जातिवाद और छुआछूत: संघ का लक्ष्य समाज को बदलना

भागवत ने जातिवाद और छुआछूत के खिलाफ संघ की भूमिका को उजागर किया। उन्होंने कहा कि ये सामाजिक बुराइयाँ समाज की प्रगति में बाधा डालती हैं। संघ का उद्देश्य है कि हर समाजिक वर्ग को समान अवसर मिले और सभी को एक साथ लाकर सामाजिक समरसता को बढ़ावा दिया जाए। उन्होंने संघ के कामकाज को समाज में बदलाव लाने के तरीके के रूप में पेश किया।

संघ की बढ़ती स्वीकार्यता: विरोधी भी मान रहे हैं

भागवत ने संघ की स्वीकार्यता को लेकर आश्वस्त किया कि पहले संघ की अनदेखी होती थी, लेकिन अब विरोधी भी संघ की कार्यशैली को मान्यता दे रहे हैं। इसका मतलब है कि संघ ने समाज के विभिन्न वर्गों के बीच अपनी साख बनाई है और इसके काम को अब व्यापक रूप से स्वीकारा जा रहा है।

नई पीढ़ी और पारिवारिक संस्कार: संकट में संस्कार

भागवत ने नई पीढ़ी में बढ़ती संस्कारहीनता पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने पारिवारिक संस्कारों के कमजोर होते जाने पर चिंता जताई और परिवारों को एक साथ बैठकर धार्मिक और पारंपरिक गतिविधियों में भाग लेने की सलाह दी। इससे नई पीढ़ी को अपने सांस्कृतिक मूल्यों से जोड़ने में मदद मिलेगी और पारिवारिक एकता मजबूत होगी।

स्वदेशी वस्तुओं का समर्थन: विदेशियों से सावधान

डॉ. भागवत ने स्वदेशी वस्तुओं के समर्थन पर जोर दिया और विदेशी सामान के उपयोग को केवल आवश्यकतानुसार सीमित करने की सलाह दी। उनका कहना था कि देश में पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हैं और हमें स्वदेशी उत्पादों की ओर ध्यान देना चाहिए। यह न केवल आर्थिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगा, बल्कि देश की आत्मगौरव भावना को भी सशक्त करेगा।

डॉ. मोहन भागवत का अलवर में दिया गया भाषण हिंदू धर्म, सामाजिक समरसता, पारिवारिक संस्कारों और आर्थिक आत्मनिर्भरता पर केंद्रित था। उनके विचारों ने संघ के सांस्कृतिक मूल्यों को मजबूत करने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश प्रदान किए हैं।

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