नई दिल्ली। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से पीतमपुरा में स्थित रामलीला मैदानए में देवी भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें सर्व आशुतोष महाराज की शिष्या साध्वी अदिति भारती ने सात दिवसीय देवी भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का शुभ आरम्भ किया।
जिसमें श्रीमद देवी भागवत महापुराण की महिमा का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि देवी की महिमा से ओतप्रोत यह ग्रन्थ अशक्त और अज्ञानता के अंधकार में डूबे मानव समाज को सशक्त व प्रकाशित करने का श्रेष्ठ साधन है। यह एक विशिष्ट मनोवैज्ञानिक व अध्यात्मिक कृति है जिसके भीतर मानव जीवन से जुड़े हर एक पक्ष का वर्णन मां के सरस लीला चरित्रों के माध्यम से किया गया है। हम एक कथा का प्रारंभ नहीं अपितु जीवन की उत्कर्ष यात्रा का प्रारंभ कर रहे हैं, और मां के विविध लीला चरित्र इस उत्कर्ष यात्रा के ही अलग अलग पड़ाव हैं।
देवी महात्म्य के साथ साथ मधु कैटभ वध एवं शुकदेव जन्म की गाथा का भी वर्णन कियाज्ञ कथा के रहस्य बताते हुए कहा कि वर्तमान में मानव की सबसे बड़ी खोज है, शांति को प्राप्त करनाए प्रत्येक मानव शांति और सुख की तलाश में संसार में दौड़ रहा है परन्तु उसके हाथ केवलमात्र दु:ख ही लगता है।
साध्वी भारती ने कहा कि यदि शुकदेव मुनि जी की जीवन शैली से प्रेरणा ली जाए तो यही सार मिलता है कि शांति का राजमार्ग न ही इस संसार के त्याग में है और न ही इस संसार के विषय भोगों में लिप्त होने में । राजा जनक और शुकदेव मुनि जी के संवाद को उठाते हुए उन्होंने बताया की, मन को मां भगवती की शाश्वत भक्ति में लगा कर ही मनुष्य इस संसार में रहते हुए भी विदेह अर्थात जीवनमुक्त होसकता है। शांति का राजमार्ग यदि इस संसार में कोई है तो वह है ईश्वर की भक्ति-भक्ति शास्त्र ग्रंथों का पठन पाठन नहीं अपितु उसका देवी मां के साक्षात्स्वरुप का अपने भीतर दर्शन कर लेना ही वास्तविक भक्ति का प्रारंभ है। ईश्वर को देख लेने के बाद ही मानव सही दिशा की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा प्राप्त करता है, आत्मा परमात्मा से एकाकार हो जाती है। आदर्श समाज को प्रत्येक इकाई, प्रत्येक इंसान को पक्का होना अर्थात पूर्ण रूप से विकसित होना अति आवश्यक है।
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