सचिन और विवेक ओबेरॉय रह चुके हैं ब्रांड अम्बेसडर
जयपुर। शरीर में वाहिनियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण है रक्त और ही शरीर का ताप और ऊतकों को ऑक्सीजन पहुंचाता है। ऐसे में मालूम होता है कि रक्त की महत्ता कितनी बढ़ जाती है। वर्तमान के समय में अंग-दान से लेकर कई बिमारियों में मरीज की जान बचाने के लिए ब्लड सबसे बड़ी भूमिका निभाता है। इसीलिए रक्तदान को महादान कहा गया है। अक्सर देखा जाता है, लोग किसी की जिंदगी बचाने के लिए स्वेच्छा से रक्तदान करते हैं। तो कही इसे बिजनेस के रूप में लेकर खरीदा बेचा भी जाता है। यहां एक ऐसी संस्था अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद् है जिनके देशभर से लेकर विदेशों में रक्तदान के लिए हजारों की संख्या में नुमाइंदे कार्यरत हैं। इस संस्था की शुरुआत 2012 से हुई और आज 5 साल में इस संस्था ने कई जिंदगियां बचाई तो कइयों को रक्तदान का महत्तव भी सिखाया। जिसके मुख्य संयोजक जयपुर शहर के हितेश भांडिया हैं। हितेश बताते हैं, हमारी शुरुआत छोटे स्तर पर हुई लेकिन हमने इस जागरूकता के लिए कई हस्तियों समेत देशभर के लोगों को जोड़ा। 2014 में हमने जागरूकता और सभी के सहयोग से एक रिकॉर्ड कायम किया। ये रिकॉर्ड एक दिन में देशभर में 683 कैम्प्स आयोजित कर 100212 यूनिट ब्लड एकत्रित किया गया था। यह केवल मात्र रिकॉर्ड का आंकड़ा नहीं था, ये कई जरूरतमंदों की जिंदगियां बचाने के लिए किया गया साहसिक कदम था। जब मैंने जयपुर के अस्पतालों की हालत देखी तो समझ आया कि यहां कई स्वेछिक रक्तदाता हैं तो कई इसका इस्तेमाल करने वाले लोग भी है। आज कई मरीज ऐसे हैं जिन्हें समय पर रक्त ना मिल पाने की वजह से जान गंवानी पड़ती है। ऐसे में हमारी संस्था अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद् द्वारा जयपुर ही नहीं बल्कि पूरे देश में खून नि:शुल्क दिया जाता है।
ये सितारे जुड़े मुहीम से
भांडिया ने बताया कि निस्वार्थ सेवा के लिए राजनीतिज्ञ और फि़ल्मी सितारों ने अपना सहयोग प्रदान किया। जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, सचिन तेंदुलकर, सुनील शेट्टी, विवेक ओबेरॉय समेत कई हस्तियों ने अपना सहयोग दिया। राजस्थान से मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, चिकित्सा मंत्री राजेंद्र राठौड़, डीजी मनोज भट्ट समेत आला अधिकारियों ने सहयोग के लिए हाथ बढ़ाया। प्रधानमंत्री द्वारा इस वर्ष आयोजित कैंप को लेकर शुभकानाएं प्रेषित की गई। फिलहाल राजस्थान समेत पूरे देशभर में यह कैंप आयोजित किए जा रहे हैं।
रक्तदान का विदेशी कल्चर
हमारे देश में रक्तदान के लिए लोगों को इक्क_ा कर उन्हें महत्त्व समझाना और फिर उन्हें रक्तदान के लिए प्रेरित करने का कल्चर है। जबकि विदेशों में हॉलिडे या किसी भी दिन लोग स्वेच्छा से जाकर अस्पतालों में रक्तदान कर सकते हैं। वहां कैंप की जरूरत महसूस नहीं होती। तो ऐसा ही हमारा देश का कल्चर बन जाए तो कोई गरीब रक्त की कमी से नहीं मरेगा। साथ ही पहनावे और भाषा का जब भारत अपना रहा है तो इस नेक मुहीम को अपनाने के लिए हर व्यक्ति को कटिबद्ध होना चाहिए।
तो फायदे का सौदा है रक्तदान
कई बार रक्तदान से छुपी बीमारियां भी निकल कर सामने आ जाती हैं। राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में पिछले साल एक शिविर लगाया गया। जिसमें किसी व्यक्ति के रक्तदान करने पर उसे कैंसर की बीमारी का पता चला। लेकिन अंतिम स्टेज होने की वजह से उसे बचाया ना सका। दरअसल हम लोग रक्तदाता का डेटा एकत्र कर लेते हैं ताकि भविष्य में कभी जरुरत पडऩे पर ऐसे रक्तदाताओं को संपर्क किया जा सके। मैं खुद यहां एसएमएस और दुर्लभजी अस्पताल समेत कई बड़े अस्पतालों से रक्त संबंधी जरूरतों के लिए जुड़ा रहता हूं। आवश्यकता पडऩे पर हमारी संस्था हरसंभव मदद को तैयार रहती है।
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