जीवन में हमें जों मिला है, उसी में संतोष रखना चाहिए: आचार्य मृदुल


जयपुर। गिर्राज संघ परिवार विश्वकर्मा के 18 वें वार्षिकोत्सव के अवसर पर सीकर रोड स्थित सन एंड मून परिसर में चल रहे श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञानयज्ञ में शुुक्रवार को व्यासपीठ से आचार्य मृदुल कृष्ण महाराज ने कहा कि जीव परमात्मा का अंश है, इसीलिए जीव के अंदर अपार शक्ति रहती है ,और यदि कमी रहती है तो वह संकल्प की। संकल्प दृढ व कपट रहित होने से प्रभु उसे निश्चित रूप से पूर्ण करेंगे और जीवन में सदैव संकल्प शक्ति दृढ होनी चाहिए।  श्रीरूकमणिविवाह प्रसंग पर कहा कि श्रीरूकमणि विवाह का प्रसंग श्रद्धा के साथ श्रवण करने से कन्याओं की जीवन में सदैव अच्छे घर व वर की प्राप्ति होती है तथा दाम्पत्स जीवन सुखमय बनता है। 

 महारास लीला काम लीला नहीं अपितु काम पर विजय प्राप्त करने की लीला है। विशुद्ध जीव और पूर्ण ब्रहम का मिलन ही महारास है।  प्रभु के मथुरागमन लीला पर कुब्जा व सुदामा प्रसंग पर बोलते हुए कहा कि  जीवन में हमें जों मिला है,उसी में संतोष रखना चाहिए। जो नहीं मिला है उसके लिए दुखी नहीं होना चाहिए। जो व्यक्ति जीवन मेंं संतोष धारण करता है, वह परमसुख को प्राप्त करता है। व्यक्ति के जीवन में उसका लक्ष्य व दिशा सदैव एक होना चाहिए। उसे अपने जीवन में भय व चिंता से मुक्त रहना चाहिए। इस दौरान 121 यजमानों गूंज रहे सस्वर पाठों में वातावरण को भक्तिमय बना दिया। अध्यक्ष राम रतन अग्रवाल ने बताया कि कथा प्रसंग के तहत शनिवार  को सुदामा चरित्र की कथा प्रसंग के बाद फूल होली महोत्सव विशेष रूप से मनाया जाएगा।

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