समाज में सम्मान अमीरी से नहीं बल्कि ईमानदारी व सज्जनता से प्राप्त होता है: आचार्य मृदुल


भक्तों ने भक्तिभाव से खेली फूलों की होली
जयपुर। गिर्राज संघ परिवार विश्वकर्मा के 18 वें वार्षिकोत्सव के अवसर पर सीकर रोड स्थित सन एंड मून परिसर में चल रहे श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञानयज्ञ में शनिवार  व्यासपीठ से आचार्य मृदुल कृष्ण महाराज ने कहा कि जीवन में कितना भी धन व एैश्वर्य की सम्पन्नता हो,लेकिन यदि मन में शांति नहीं हो तो वह व्यक्ति जीवन में कभी सुखी नहीं रह सकता। वहीं जिसके पास धन की कमी भले ही हो ,सुख सुविधाओं की कमी हो परंतु उसका मन यदि शांत हो,तो वह व्यक्ति वास्तव में परम सुखी व्यक्ति है। वह हमेशा असंतुलन से दूर रहेगा।
सुदामा चरित्र पर बोलते हुए कहा कि सुदामा जी के जीवन में धन की कमी थी, निर्धनता थी परंतु वे अपने जीवन में शांत ही नहीं परम शांत व्यक्ति थे और सदैव भगवान की भक्ति में लीन रहते थे। उनके घर में वस्त्र आभूषण तो दूर अन्न का एक कण भी नहीं था। जिसे लेकर वो अपने मित्र द्वारकाधीष के पास जा सके। परंतु सुदामा जी पत्नी सुशीला के मन में इच्छा थी कि हमारे पति सुदामा द्वारकाधीध के पास खाली ना जाए। सुशीला चार घर गई और 4 मुठ्ठी चावल मांगकर लाई। वही 4 मुठ्ठी चावल लेकर सुदामा द्वारका गये और प्रभु ने बडे चाव से उन चावलों का भोग लगाया। प्रभु ने अपने मित्र सुदामा को अपना संपत्ति प्रदान की।  व्यक्ति को अपना मूल्य समझना चाहिए कि वह संसार का श्रेष्ठ प्राणी है तो वह हमेशा कार्यशील रहेगा।  समाज सम्मान अमीरी से नहीं बल्कि ईमानदारी व सज्जनता से प्राप्त होता है। इसके बाद कथा प्रसंग के तहत फूलों की होली खेली गई। जिसमें श्ऱद्धालुओं ने ने होली खेल रहे बांके बिहारी....बांके बिहारी की छठा देख मेरा मन है गयो लटा-पटा ....आदि भजनों पर श्रद्धालुओं को खूब झुमाया। इस दौरान आसपास का माहौल श्रीराधा कृष्णमय हो गया। इस दौरान 121 यजमानों गूंज रहे सस्वर पाठों में वातावरण को भक्तिमय बना दिया।

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