सत्संग करने से ही संसार के सर्वसुखों की प्राप्ति संभव:संत सुनील


जयपुर। वर्तमान में इंसान अपने सांसारिक कार्यों में इतना व्यस्त हो गया है कि वह अपने मूल उद्ेश्य को ही भूल गया है। संत इस जगत का उद्धार करने के लिए इंसान को सत्संग से जोड़ते है, उसे निज घर की पहचान करवाते है। इस पहचान के बाद इंसान को अपने प्रभु परमात्मा से ही प्रेम रहता है। तन मन धन सब कुछ उसका ही मानकर जीवन जीता है। इंसान को संसार में रहने के लिए जिन भौतिक वस्तुओं की आवश्यकता होती है । वे सभी परमात्मा की माया है। जब परमपिता परमात्मा को जान लिया तो ये सभी सुख परमात्मा अपने भक्त को अपने आप दे देता है। इसके लिए इंसान को सेवा सत्संग सुमिरन करते रहना है। सत्संग करने से ही संसार के सभी सुख प्राप्त हो सकते है। ये विचार सन्त निरंकारी मंडल की ब्रांच मच्छ की पीपली में आयोजित क्षमायाचना दिवस पर साध संगत को आशीर्वाद देते हुए संत सुनील बाली ने कहे।
     मिडिया प्रभारी बनवारी लाल जाटवा ने बताया कि इस अवसर पर ब्रांच के मुखी संत हरज्ञान सिंह ने महात्मा बाली का दुप्पटा पहनाकर स्वागत किया। समस्त सेवादल ने सेवादल प्रार्थना, क्षमायाचना गीत, मार्चिंग गीत, पी टी परेड भी प्रस्तुत किये। सेवादल ने गेम भी प्रस्तुत किये गए। इसी कड़ी में महात्मा योगेश दुबे, पंकज, भगवान सहाय, बहन मनभर, सुशीला जी ने विचार व् भजनों के द्वारा समस्त संगत को निहाल किया। अंत में मुखी महात्मा हरज्ञान सिंह जी ने आये हुए सभी सन्तों का आभार व्यक्त किया। व सभी ने लंगर प्रसादी भी पाई।

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