जयपुर। संत इस जगत का उद्धार करने के लिए इंसान को सत्संग से जोडक़र इस निराकार परमात्मा की पहचान करवाते है। जब प्रभु परमात्मा मिल जाता है तो तन मन धन सब कुछ उसका ही मानकर जीवन जीता है। फिर उस का जीवन बदल जाता है और सेवा सत्संग सुमिरन करते हुए परमात्मा की भक्ति करता है। सत्संग करने से ही संसार के जन्म मरण से मुक्ति प्राप्त हो जाती है। ये उक्त विचार पालड़ी मीणा में गोपीराम के घर पर आयोजित निरंकारी सत्संग में साध संगत को आशीर्वाद देते हुए मुखी संत हरज्ञान सिंह ने कहे।
मिडिया प्रभारी बनवारी लाल जाटवा ने बताया कि इस अवसर पर महात्मा गोपीराम ने ब्रांच के मुखी संत हरज्ञान सिंह का दुप्पटा पहनाकर स्वागत किया। इस अवसर पर महात्मा पंकज, भगवान सहाय, बहन मनभर, सुशीला जी ने विचार व् भजनों के द्वारा समस्त संगत को निहाल किया। अंत में सभी ने लंगर प्रसादी भी पाई।
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