मनुष्य का अनमोल आभूषण ही चरित्र है : आचार्य शिवरतन

जयपुर। प्रताप नगर सेक्टर-8 स्थित वीर हनुमान मंदिर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन शुक्रवार को आचार्य शिवरतन शास्त्री ने अजामिला चरित्र प्रसंग का वर्णन किया। आचार्य शास्त्री ने प्रवचन में कहा कि मनुष्य का अनमोल आभूषण ही चरित्र है। सब कुछ चले जाने पर भी मनुष्य का चरित्र यदि शेष है तो वही मनुष्य अमूल्य है। चरित्र से बढक़र इस संसार में कोई वस्तु अमूल्य नहीं है। इसलिए चरित्र का ध्यान रखना चाहिए। धन गया तो कुछ नहीं गया, स्वास्थ्य गया तो कुछ गया और यदि चरित्र गया तो सब कुछ चला गया। मनुष्य का चरित्र ही अनमोल धरोहर है।

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