चाटुकारिता व अवसरवादी मित्रों से बचें:आशीष व्यास

जयपुर। सौंखिया परिवार की ओर से चौडा रास्ता स्थित सौखिया भवन में चल रहे श्रीमद भागवत सप्ताह ज्ञानयज्ञ में रविवार को व्यास पीठ से आशीष शास्त्री ने कहा कि ईश्वर के सत्संग व भक्ति में जो मजा है, वह संसार में तुम्हें कहीं भी प्राप्त नहीं हों सकता। जीवन में निष्वार्थ भाव से ही गई भक्ति सदैव कारगर होती है। सुदामा चरित्र पर बोलते हुए कहा कि सच्चा मित्र वही है,जो विपत्ति में काम आए। जीवन में मित्रता कृष्ण व सुदामा जैसी होनी चाहिए। मित्रों के बीच गरीब-अमीर का भेदभाव नहीं हो चाहिए। जों कुमार्ग से हटाकर सदमार्ग पर लगाकर पर लगाए वही सच्चा मित्र है। चाटुकारिता व अवसरवादी मित्रों से बचें। बडप्पन का अहंकार जब दूसरों का अहंकार करने लगता है तो उसका दंड अवश्य भुगतना पडता हैं। श्रीकृष्ण के अभिमानी पुत्रों ने जब ऋषियों को मजाक उडाया था तो उन्होंने यदुवंश को नष्ट होने का श्राप दिया ,यही कारण है कि ऋषियों के श्राप के परिणाम यदुवंशी होने के कारण स्वयं भी श्रीकृष्ण ने भी भोगा।
अपराध चाहे छोटा हो या बडा , अपराध अपराध ही होता है । वह कभी क्षमा योग्य नहीं होता है। क्योंकि ईष्वर के बेटों का अपराध भी क्षमा के योग्य नहीं होता हैं । आचरणहीन और मर्यादीहीन व्यक्ति को सदैव तिरस्कार कर दिया जाता हैं । जीवन में चाहे दुख या सुख, कभी भी ईश्वर को नहीं भूलना चाहिए। ईश्वर को अपने मन में धारण कर सदैव उनकी भक्ति में लगे रहना चाहिए। इससे पहले नव योगेश्वर संवाद और अवधूत उपाख्यान पर प्रवचन दिया। परीक्षित भागवतामृत पान करके पहले ही मुक्त हो गये थे।

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