जयपुर। भगवान भास्कर के 25 मई को रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करने के साथ नौतपा शुरू होगा। नौतपा वर्षा का गर्भाधान काल कहा जाता है। इन नौ दिनों में तेज गर्मी पड़ेगी। जितनी अधिक गर्मी होगी वर्षा उतनी ही श्रेष्ठ होती है। गर्मी के प्रभाव से कीटाणु, जीवाणु और विषाणु भी नष्ट हो जाते हैं। नौतपा तीन जून तक रहेगा। रोहिणी नक्षत्र में रोहिणी के घर सूर्य के रहने से 9 दिनों तक सूर्य की लंबवत किरणें पृथ्वी पर पड़ती हैं। जिससे पृथ्वी के भूभाग में ताप और गर्मी उत्पन्न होती है। ग्रह स्थितियों के अनुसार इस बार नौतपा के खूब तपने के योग बन रहे हैं। 25 मई से 3 जून के आदि दिनों में बारिश के भी योग हैं।
नौतपा के समय शनि, शुक्र, गुरु, राहू, केतु वक्र गति में रहेंगे। 30 मई को वक्री शुक्र अपनी ही राशि में अस्त होंगे। जिससे छुटपुट बूंदाबांदी के योग निर्मित होंगे। नौतपा का संबंध मानसून से होता है।
22 जून को आद्र्रा का प्रवेश मिथुन लग्न और राहु, बुध, सूर्य, चंद्र के चतुर्थ ग्रही योग में होगा। आद्र्रा से हस्त नक्षत्र तक बारिश होगी। वर्षा का अंतिम एवं आठवां नक्षत्र 11 अक्टूबर तक चलेगा।
नौतपा और आकाश मंडल की स्थिति:
वैदिक अध्ययन एवं प्रशिक्षण संस्थान के मुख्य संरक्षक डॉ. महेन्द्र मिश्रा के अनुसार नौतपा में उदय कालिक लग्न वृष में सूर्य-वृष राशि, मंगल-कुंभ राशि, बुध-स्व राशि मिथुन, गुरु-मकर राशि में वक्री, शुक्र-वृष में वक्री, शनि-मकर राशि में वक्री, राहू-मिथुन, केतु-धनु तथा चंद्रमा कर्क, सिंह, कन्या, तुला राशि पर विचरण करेगा।
ठंडे पेय का करें अधिकतम उपयोग:
जिस समय सूर्य रोहिणी नक्षत्र में आता है उस समय चंद्रमा नौ नक्षत्रों में भ्रमण करता हैं। इस कारण इसे नौतपा कहा जाता है। सूर्य के 15 दिन रोहिणी नक्षत्र में शुरू के 9 दिन तपन ज्यादा होगी। इसके प्रभाव से बचने के लिए लोगों को सूर्य आराधना करना बेहतर होगा। जल, दही, दूध, नारियल पानी, ठंडे पेय पदाथों का सेवन करना चाहिए।
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