जयपुर। एकादशी का व्रत रखने वाले उपासक को अपना मन स्थिर एवं शांत रखना चाहिए।
किसी भी प्रकार की द्वेष भावना या क्रोध मन में न लाएं। दूसरों की निंदा न
करें। इस एकादशी पर श्री लक्ष्मी नारायण का पवित्र भाव से पूजन करना चाहिए।
भूखे को अन्न तथा प्यासे को जल पिलाना चाहिए। एकादशी पर रात्रि जागरण का
बड़ा महत्व है।
जरूरतमंदों को करें दानइस दिन स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर भगवान विष्णु की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराकर, चंदन, रोली, धूप, दीप, पुष्प से पूजन और आरती करें। पूजन के बाद याचकों एवं ब्राह्मणों को यथाशक्ति दान-दक्षिणा दें। अगले दिन सूर्योदय के समय ईष्ट देव को भोग लगाकर, दीप जलाकर और प्रसाद का वितरण कर व्रत खोलेंें। मान्यता है कि ये व्रत करना 88 हजार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर है।
आ षाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन योगिनी एकादशी व्रत करने का विधान है। इस बार यह 17 जून को है। इस दिन विष्णुजी की पूजा की जाती है। योगिनी एकादशी व्रत के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने का भी विशेष महत्व है।
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