संक्रांति पर्व और भी खास हो जाता है। िमथुन संक्रांति पर सुबह जल्दी उठकर
भगवान सूर्य को जल चढ़ाया जाता है। इसके साथ ही निरोगी रहने के लिए विशेष
पूजा भी की जाती है। सूर्य पूजा के समय लाल कपड़े पहनने चाहिए। पूजा सामग्री
में लाल चंदन, लाल फूल और तांबे के बर्तन का उपयोग करना चाहिए। पूजा के
बाद मिथुन संक्रांति पर दान का संकल्प लिया जाता है। इस दिन खासतौर से
कपड़े, अनाज और जल का दान किया जाता है।
शुभ फल देने वाली
ज्योतिष ग्रंथों में तिथि, वार और नक्षत्रों के अनुसार हर महीने होने वाली सूर्य संक्रांति का शुभ-अशुभ फल बताया गया है। इस बार मिथुन संक्रांति का वाहन हाथी है। इस कारण विद्वान और शिक्षित लोगों के लिए ये संक्रांति शुभ फल देने वाली रहेगी। इसके प्रभाव से धन और समृद्धि भी बढ़ेगी।
हिं दू कैलेंडर में सौर वर्ष के अनुसार सूर्य का राशि परिवर्तन संक्रांति कहलाता है। पुराणों में इस दिन को पर्व कहा गया है। सूर्य जिस भी राशि में प्रवेश करता है उसे उसी राशि की संक्रांति कहा जाता है। सूर्य एक साल में 12 राशियां बदलता है, इसलिए सालभर में ये पर्व 12 बार मनाया जाता है। इसमें सूर्य अलग-अलग राशि और नक्षत्रों में रहता है। संक्रांति पर्व पर दान-दक्षिणा और पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है। 14 जून की रात 12 बजे के बाद सूर्य वृष से मिथुन राशि में चला जाएगा। इसके बाद 15 जून को मिथुन राशि में ही सूर्योदय होगा। इसलिए इस दिन मिथुन संक्राति का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन सूर्य पूजा और दान करने के लिए पुण्यकाल 15 जून को सुबह करीब 05.10 से 11:55 तक रहेगा। इस मुहूर्त में की गई पूजा और दान से बहुत पुण्य मिलता है।
शुभ फल देने वाली
ज्योतिष ग्रंथों में तिथि, वार और नक्षत्रों के अनुसार हर महीने होने वाली सूर्य संक्रांति का शुभ-अशुभ फल बताया गया है। इस बार मिथुन संक्रांति का वाहन हाथी है। इस कारण विद्वान और शिक्षित लोगों के लिए ये संक्रांति शुभ फल देने वाली रहेगी। इसके प्रभाव से धन और समृद्धि भी बढ़ेगी।
हिं दू कैलेंडर में सौर वर्ष के अनुसार सूर्य का राशि परिवर्तन संक्रांति कहलाता है। पुराणों में इस दिन को पर्व कहा गया है। सूर्य जिस भी राशि में प्रवेश करता है उसे उसी राशि की संक्रांति कहा जाता है। सूर्य एक साल में 12 राशियां बदलता है, इसलिए सालभर में ये पर्व 12 बार मनाया जाता है। इसमें सूर्य अलग-अलग राशि और नक्षत्रों में रहता है। संक्रांति पर्व पर दान-दक्षिणा और पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है। 14 जून की रात 12 बजे के बाद सूर्य वृष से मिथुन राशि में चला जाएगा। इसके बाद 15 जून को मिथुन राशि में ही सूर्योदय होगा। इसलिए इस दिन मिथुन संक्राति का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन सूर्य पूजा और दान करने के लिए पुण्यकाल 15 जून को सुबह करीब 05.10 से 11:55 तक रहेगा। इस मुहूर्त में की गई पूजा और दान से बहुत पुण्य मिलता है।
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