निर्जला एकादशी पर गोविंद के दरबार में भक्तों ने लगाई ऑनलाइन हाजरी

जयपुर। ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी मंगलवार को निर्जला एकादशी के रूप में मनाई  गई। वैष्णव श्रद्धालुओं ने भगवान विष्णु की पूजा कर दिनभर उपवास रखकर शाम को सागारी भोजन ग्रहण किया। ठाकुरजी के सभी मंदिरों में ठाकुरजी की विशेष झांकी सजाई गई। श्रद्धालुओं ने ऑनलाइन दर्शन  किए।


गोविंददेवजी मंदिर में सुबह मंगला आरती के बाद ठाकुरजी का वेद मंत्रोंच्चारण के साथ पंचामृत अभिषेक किया गया।  श्रृंगार झांकी में ठाकुरजी में ठाकुरजी ने नटवर वेश पोशाक में दर्शन दिए। राजभोग झांकी में ठाकुरजी और राधा रानी को जल से भरा मटका, आम, पंखी और सागारी लड्डू अर्पित किया गया।  शाम पांच से साढ़े पांच बजे तक जल उत्सव झांकी सजाई गई। ठाकुरजी धवल धोती में करीब पंद्रह मिनिट तक ठंडे पानी की धार में भीगते रहेंगे। इसके बाद पांच तरह के फल, पूड़ी और सिकरन का भोग लगाया। चौड़ा रास्ता स्थित राधा दामोदरजी, पुरानी बस्ती के गोपीनाथजी मंदिर में भी विशेष झांकी सजी। पानो का दरीबा स्थित सरस निकुंज में शुक संप्रदाय पीठाधीश्वर अलबेली माधुरीशरण महाराज के सान्निध्य में राधा सरस बिहारी सरकार का विशेष श्रृंगार कर शीतल सागारी व्यंजनों का भोग लगाया गया। शुक संप्रदाय पीठाधीश्वर अलबेली माधुरीशरण महाराज ने पंखी सेवा की।
फोटो मटके
मंदिरों में जल से भरे मटके-फल दान
 निर्जला एकादशी को शीतल जल से भरे मटके, आम, तरबूज, खरबूज, ककड़ी,टमाटर, नींबू और चीनी का जमकर दान किया गया। लॉकडाउन के कारण् बड़े मंदिरों में श्रद्धालुओं का प्रवेश वर्जित था, इसलिए कॉलोनी के छोटे मंदिरों में श्रद्धालुओं ने दान-पुण्य किया।  हर मंदिर में एक-एक दर्जन मटके तक नजर आए। लॉकडाउन के बाद पहली बार कुम्हारों को अच्छी कमाई हुई। उनके आधे मटके एक दिन में ही बीत गए। मंदिरों के अलावा प्याऊओं पर भी मटके रखे।

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