नीच से वक्री होंगे देवगुरु बृहस्पति, छह राशियों को लाभ


जयपुर। देवगुरु बृहस्पति अपनी नीच राशि की अवस्था समाप्त करके वक्री अवस्था में ही वापस अपनी राशि धनु में 30 जून को प्रवेश करेंगे। इसी के साथ शनि और गुरु की युति भी समाप्त हो जाएगी किंतु केतु और गुरु की युति पुन: प्रारंभ हो जाएगी। अब पुन: गुरु मकर राशि में 20 नवंबर को प्रवेश करेंगे और वर्ष पर्यंत उसी राशि में विचरण करेंगे। धनु और मीन राशि के स्वामी बृहस्पति कर्क राशि में उच्च तथा मकर राशि में नीचराशिगत माने गए हैं। इनके राशि परिवर्तन का प्रत्यक्ष प्रभाव दिखाई देगा। पं. राजकुमार चतुर्वेदी ने बताया कि राशि परिवर्तन से छह राशियों के जातकों को विशेष लाभ रहेगा।
मेष राशि: राशि से भाग्य भाव में बृहस्पति का आना परेशानियों में कमी लाएगा। शिक्षा प्रतियोगिता में अच्छी सफलता मिलेगी। संतान के दायित्व की पूर्ति के योग है।
वृषभ राशि: राशि से अष्टमभाव में स्वगृही गुरु जातक लिए पद-प्रतिष्ठा की वृद्धि तो कराएंगे किंतु अत्यधिक व्यय के कारण आप आर्थिक तंगी का शिकार हो सकते हैं। वाहन सावधानी पूर्वक चलाएं, दुर्घटना से बचें।  कोट- कचहरी के मामले बाहर ही सुलझा लें। आकस्मिक धन प्राप्ति योग बन रहे हैं।

मिथुन राशि: गुरु की अनुकूलता दांपत्य जीवन में मधुरता आएगी। विवाह संबंधित वार्ता सफल रहेगी। दैनिक व्यापारियों के लिए समय किसी वरदान से कम नहीं है किंतु साझा व्यापार करने से बचें। 
कर्क राशि: गुरु के शत्रु भाव में जाने से  गोपनीय शत्रु बढ़ेंगे। कार्यक्षेत्र में विरोधियों का बोलबाला रहेगा किंतु वे आपका नुकसान नहीं कर पाएंगे। इस अवधि के मध्य किसी को अधिक धन के लेन-देन से बचें और वाद विवाद के मामले बाहर ही सुलझा लें तो बेहतर रहेगा।
 सिंह राशि: गोचर किसी वरदान से कम नहीं है, विद्यार्थियों के लिए समय अनुकूल है। नव दंपति के लिए संतान प्राप्ति के योग है। आय के साधन बढ़ेंगे, रुका हुआ धन भी वापस मिलेगा किंतु परिवार के बड़े सदस्यों अथवा बड़े भाइयों से मतभेद न पैदा होने दें।
कन्या राशि: राशि से चतुर्थ भाव में गुरु का स्वराशि गोचर माता-पिता के स्वास्थ्य के प्रति कुछ विपरीत हो सकता है किंतु आपके लिए बेहतर रहेगा। मकान-वाहन के क्रय का संयोग बनेगा। मित्रों और संबंधियों से भी सहयोग मिलेगा। अपनी ऊर्जा शक्ति का पूर्ण उपयोग करते हुए कार्य करेंगे तो सफलता की संभावना सर्वाधिक रहेगी।
तुला राशि: राशि से पराक्रम भाव में बृहस्पति का गोचर साहस और पराक्रम की वृद्धि तो कराएगा किंतु, कई बार अति उत्साही होने के कारण आप नुकसान भी उठा सकते हैं इसके लिए सावधान रहें। धर्म-कर्म के मामलों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेंगे। संतान संबंधी चिंता से भी मुक्ति मिलेगी। 
वृश्चिक राशि: राशि से धन भाव में गुरु का आना आर्थिक पक्ष मजबूत करेगा, कहीं से भी रुका हुआ धन आएगा जिसके चलते आप मनपसंद वस्तु का क्रय करेंगे। जिद और आवेश पर नियंत्रण रखते हुए कार्य करेंगे तो सफलता की संभावना अधिक रहेगी। 
धनु राशि: आपके राशि स्वामी गुरु का स्वयं ही अपनी राशि में प्रवेश करना आपके लिए सपने साकार होने जैसा है। इस अवधि के मध्य किसी भी तरह का बड़े से बड़ा कार्य आरंभ करना चाहे अथवा शिक्षा प्रतियोगिता से संबंधित कोई कार्य करना चाहे तो समय अच्छा है। संतान संबंधी चिंता दूर होगी। नव दंपति के लिए संतान प्राप्ति एवं प्रादुर्भाव के भी योग है।
मकर राशि: राशि से द्वादश भाव में गुरु का स्वगृही होना धर्म-कर्म के प्रति आपकी रुचि बढ़ाएगा। यात्रा, देशाटन का पूर्ण आनंद लेंगे। षड्यंत्र का शिकार होने से बचें, गुप्त शत्रुओं से सावधान रहें। अपने साहस एवं शौर्य के बल पर विषम हालात को भी सामान्य कर लेंगे। माता-पिता के स्वास्थ्य के प्रति सजग रहें।
 कुंभ राशि: राशि से लाभ भाव में गुरु का गोचर आपके आय के साधन बढ़ाएगा किंतु कोई न कोई व्यक्ति आप को विश्वास में लेकर आर्थिक हानि पहुंचा सकता है। परिवार में मतभेद न पैदा होने दें। नौकरी में पदोन्नति और नए अनुबंध पर हस्ताक्षर करने का बेहतर समय है। मीन राशि: राशि से कर्म भाव में गुरु का गोचर आपके लिए पद और गरिमा की वृद्धि कराएगा। आपके  निर्णय और कार्यों की सराहना होगी। कार्यक्षेत्र का विस्तार होगा। विलासिता संबंधी वस्तुओं, मकान  का क्रय करना चाह रहे हं तो अवसर अच्छा है।

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