आयुर्वेदिक सैनेटाइजर किया तैयार


जयपुर। केन्द्र सरकार की ओर से धार्मिक स्थलों को आठ जून से सरकारी गाइडलाइन की पालना करते हुए खोलने की हरी झंडी मिलने के बाद माना जा रहा है कि राज्य में भी आठ जून से मंदिर सहित सभी धार्मिक स्थल खोल दिए जाएंगे। हांलाकि इस संबंध में जिला प्रशासन और मंदिर प्रबंधन की कोई बैठक नहीं हुई है। यदि मंदिर खुलते हैं तो दर्शनार्थियों को कुछ सरकारी दिशा-निर्देशों की पालना अनिवार्य रूप से  करनी होगी। इनमें मास्क लगाना, एकसाथ भीड़ नहीं करना, साबुन या सैनिटाइजर से हाथ धोना आदि शामिल है। सबसे अधिक जोर मास्क और सैनिटाइजर पर रहेगा। मास्क तो श्रद्धालु घर से लगाकर आएंगे। मंदिरों के प्रवेश द्वार पर  सुरक्षाकर्मी दर्शनार्थियों के हाथों को सैनिटाइज कर ही अंदर जाने देंगे। मेडिकल सैनिटाइजर में अल्कोहल होने से श्रद्धालुओं की धार्मिक भावना आहत हो सकती है। अल्कोहॉल शराब का ही दूसरा नाम है। मंदिर में फूल और चंदन की अनूठी खुशबू में शराब की दुर्गंध का कोई मेल नहीं है। इसलिए कई मंदिर प्रबंधनों और संस्थाओं ने आयुर्वेदिक सैनिटाइजर का विकल्प खोज निकाला है। आर्ष संस्कृति दिग्दर्शक संस्थान के अध्यक्ष विजय शंकर पांडेय मंदिरों में आयुर्वेदिक सैनेटाइजर का वितरण कर अभियान चला रहे है। उन्होंने शुक्रवार को अपने घर पर ही आयुर्वेदिक सैनेटाइजर तैयार कर लिया। विजय शंकर पांडेय ने बताया कि सभी प्रमुख मंदिरों के महंतों से बातचीत कर आयुवेर्दिक सैनिटाइजर उन तक पहुंचाया जाएगा।



भांकरोटा के साईं मंदिर में संजय त्यागी ने भी घरेलू आयुर्वेदिक सेनेटाइजर तैयार किया है। उन्होंने से इससे पहले आयुर्वेद  चिकित्सकों से बातचीत कर सभी जानकारी जुटाई इसके बाद सामान जुटाकर आयुर्वेदिक सैनेटाइजर बनाया। वे इसके प्रचार-प्रसार के लिए जागरूकता अभियान भी चला रहे है।  भगवान परशुराम राष्ट्रीय पंडित परिषद्, सुमेरपुर और कई धार्मिक संगठन भी  जड़ी-बूटियों से   सैनेटाइजर बनाकर इसके उपयोग की सलाह दे रहे हैं।
ैं घरेलू सामान से ऐसे करें शुद्धिकरण
1. फिटकरी के पानी से हाथ धोने से सैनिटाइज हो जाता है।
2. नींबू के चार टुकड़े कर साबुन के पानी में मिलाकर घोल तैयार कर ले। जब भी हाथ धोएं इसी पानी से धोएं।
3. नीलगिरी तेल के चार से पांच बूंद हाथ में ले कर दोनों हाथ परस्पर मसलने से सेनिटाइज हो जाता है।
4. खाद्य सामग्री में काम आने वाले कपूर को नारियल के तेल में मिलाकर हाथ पर मले, यह सर्वोत्तम सैनिटाइजर है।
वर्जन
 मंदिरों में शुद्धता को सबसे अधिक महत्व है। यदि सरकार मंदिरों को आम जनता के लिए खोलती है तो मंदिर प्रबंधन से बातचीत कर उनकी राय लें। अल्कोहॉलिक सैनिटाइजर की जगह आयर्वेद के अनुसार सैनिटाइजर तैयार किए जाए। इसके लिए आयुर्वेद विभाग का सहयोग लिया जाना चाहिए।
मानस गोस्वामी, प्रबंधक मंदिर  गोविंददेवजी

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