गुरु पूर्णिमा इस बार राजयोग, शिष्य घर पर ही मानसिक रूप से करेंगे पूजन

जयपुर। आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरू पूजन का पर्व गुरू पूर्णिमा पांच जुलाई को राजयोग में मनेगा। राज योग सुबह 10:14 तक रहेगा। यह सभी योगों का राजा कहलाता है क्योंकि इसमें सभी योग की विशेषताएं शामिल होती है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग  रात 11: 02 से सूर्योदय तक रहेगा। इस दिन चंद्र ग्रहण भी है लेकिन यह केवल एक खगोलीय घटना के रूप में मान्य रहेगा, ग्रहण के रूप में नहीं। पूर्णिमा तिथि चार जुलाई को सुबह 11: 34 बजे से आरंभ होकर पांच जुलाई को सुबह 10: 14 तक रहेगी। पांच ुजुलाई को उदयकाल में पूर्णमा होने से इसी दिन गुरूपूजन होगा।

पं अक्षय शास्त्री नेबताया कि हिंदू धर्म में गुरू को ईश्वर से भी श्रेष्ठ माना है। क्योंकि गुरु ही है जो इस संसार रूपी भव सागर को पार करने में सहायता करते हंै। गुरू के ज्ञान और दिखाए गए मार्ग पर चलकर व्यक्ति मोक्ष को प्राप्त करता  है।  शास्त्रों में कहा गया है कि यदि ईश्वर आपको श्राप दे दे तो इससे गुरू आपकी रक्षा कर सकते हैं परंतु गुरु के दिए श्राप से स्वयं ईश्वर भी आपको नहीं बचा सकते हैं।
यदि लॉकडॉन खुल जाता है तो गुरू पूर्णिमा पर छोटीकाशी के मंदिरों में गुरू पूजन बड़े स्तर पर होगा। अन्यथा शिष्य घर पर ही मानसिक रूप से पूजन कर आशीर्वाद लेंगे। 
महर्षि वेदव्यास जयंती भी मनेगी:
इस दिन महाभारत के रचयिता कृष्ण द्वैपायन वेदव्यास की जयंती भी है।  वे संस्कृत के महान विद्वान थे। महाभारत जैसा महाकाव्य उन्हीं की देन है। इसी के अठारहवें अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण गीता का उपदेश देते हैं। सभी 18 पुराणों का रचयिता भी महर्षि वेदव्यास को माना जाता है। वेदों को विभाजित करने का श्रेय भी इन्हीं को है। इसी कारण इनका नाम वेदव्यास पड़ा था। वेदव्यास को आदिगुरु भी कहा जाता है इसलिए गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।
मांद्य चंद्रग्रहण का नहीं रहेगा असर: पांच जुलाई  रविवार को चन्द्रग्रहण भी है जो सुबह 8: 37 मिनट से शुरू होगा और 11:23 मिनट तक रहेगा। ये उपच्छायी चंद्र ग्रहण है। यानी चंद्रमा धुंधला पड़ता दिखाई देगा। धनु राशि और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र मे यह ग्रहण होगा। भारत में कहीं भी ग्रहण का कोई भी धार्मिक असर मान्य नहीं होगा। किसी भी राशि पर भी इस चंद्र ग्रहण का असर नहीं होगा।

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