लंबाेदर मराठी लूक में, आस्था ऐसी की घर में किया विसर्जन ताकि हमारे साथ रहें गणपती

सीकर। कोरोना महामारी के कारण इस बार गणेश महोत्सव को लेकर शहर में तस्वीर बदली हुई है। शहर के प्रमुख मंदिरों, चौराहों, सड़कों किनारे और सार्वजनिक स्थानों पर गजानन की प्रतिमाएं स्थापित क नहीं हुई हैं और इस बार प्रथम पूज्य लंबोदर घर-पर विराजे हैं। इस बार अनंत चतुदर्शी से श्राद्व पक्ष के प्रारंभ होने से घरों में पहले ही भगवान गणेश का विसर्जन गमलों या पात्र में किया। गणेश उत्सव में पहली बार घर-घर में विराजमान प्रतिमाओं का लोग घरों में ही श्रद्धा भाव से विसर्जन किया। 

शहर के रामलीला मैदान के पीछे रहने वाले विमल कुमार साेनी के परिवार के सदस्याें ने मराठी अंदाज में भगवान का विसर्जन किया। ज्योती सोनी का कहना है कि इस बार भगवान गणेश को विभिन्न थीम पर श्रृंगार किया। जिसमें पहले दिन भगवाने मुबंई के लाल बाग  के राजा की थीम, दुसरे दिन जोधपुरी साफा वं पोशाक शामिल थी, तीसरे दिन भगवान को प्रोफसर बनाया गया। इसके अलावा गणपति के विदाई के दिन भगवान को मराठी लूक दिया गया। भगवान को घर में विसर्जन किया। इस अवसर पर परिवार के लोगों के मराठी लूक के साथ बप्पा को विदाई दी।

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