पुरुषोत्तम महीने में पूजा या व्रत-उपवास नहीं कर सकते तो पेड़-पौधे लगाने से ही मिल सकता है एक यज्ञ करने जितना पुण्य
पर्यावरण को ध्यान में रखकर बनाई है पुरुषोत्तम महीने में पेड़-पौधे लगाने की परंपरा, धर्म ग्रंथ कहते हैं कि पेड़-पौधे लगाने भर से ही खत्म हो जाते हैं पाप
जयपुर। धर्म ग्रंथों में पेड़-पौधे लगाना पुण्य का काम माना गया है। ऐसा करने से कई तरह के दोषों से छुटकारा मिल जाता है। विष्णुधर्मोत्तर पुराण के मुताबिक पुरुषोत्तम महीने में पेड़-पौधे लगाने से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है। वहीं मनु स्मृति में भी कहा गया है कि पेड़-पौधे लगाने से बड़ा यज्ञ करने जितना फल मिलता है। इसलिए पुरुषोत्तम महीने के दौरान पेड़-पौधे लगाना महत्वपूर्ण माना गया है। पं राजकुमार चतुर्वेदी के अनुसार भगवान विष्णु के इस महीने में पीपल, वट, और गूलर के पेड़ लगाने चाहिए। इन पेड़-पौधों को भगवान विष्णु का ही रुप माना गया है। इनके अलावा तुलसी, दूब, अशोक, आंवला, एरंड, मदार, केला, नीम, कदंब और बेल का पेड़ लगाने से भगवान विष्णु और लक्ष्मी के साथ ही अन्य देवी-देवता भी प्रसन्न होते हैं।
पीपल: पीपल को देव वृक्ष कहा जाता है। उपनिषदों में भी इसका महत्व बताया गया है। ये पेड़ सूर्य की उन किरणों को ग्रहण कर लेता है। जो पोषण देती हैं। ग्रंथों में बताया गया है कि पीपल में जड़ से ऊपर तक के तने में भगवान विष्णु का निवास है। पीपल के नीचे ही भगवान बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था।
वट: बरगद के पेड़ में भगवान विष्णु के साथ ब्रह्माजी और शिवजी का भी वास होता है। इसलिए इस बरगद का पेड़ लगाने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। ग्रंथों में बताया गया है कि बरगद के पेड़ को छूने और दर्शन करने से ही भगवान प्रसन्न हो जाते हैं।
गूलर: गूलर के पेड़ में भगवान विष्णु का वास माना गया है। कुछ ग्रंथों में बताया गया है कि इस पेड़ की जड़ों में ब्रह्मा और शाखाओं में भगवा शिव रहते हैं। साथ ही इस पेड़ पर शुक्र ग्रह और कुबेर का प्रभाव भी इस कारण गूलर का पेड़ लगाने और इसकी पूजा करने से सुख और समृद्धि बढ़ती है।
तुलसी: पुरुषोत्तम महीने में तुलसी का पौधा लगाने से पुण्य मिलता है। तुलसी को लक्ष्मीजी का रूप माना गया है। तुलसी के पत्तों के बिना भगवान विष्णु की पूजा भी अधूरी रहती है। इसलिए इस महीने में तुलसी का पौधा लगाने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं और पुण्य भी मिलता है।
अशोक: अशोक का पेड़ पूजनीय माना जाता है। अशोक का पेड़ लगाने और उसे सींचने से धन लाभ होता है। रामायण में बताया गया है कि सीताजी का अपहरण करने के बाद रावण ने उन्हें अशोक वृक्ष की वाटिका में ही रखा था। श्रीराम ने इसके लिए कहा है कि जो भी इस पेड़ के नीचे बैठेगा उसके सभी दुख और शोक दूर हो जाएंगे। वास्तुशास्त्र में इसे सकारात्मक ऊर्जा देने वाला पेड़ कहा गया है।
आंवला: तुलसी की तरह ये पेड़ भी पूजनीय है। सौभाग्य और समृद्धि की कामना से कार्तिक महीने में महिलाएं इस पेड़ की पूजा करती हैं। इस पेड़ में लक्ष्मीजी का वास माना जाता है। ग्रंथों में बताया गया है कि इस पेड़ की छाया में बैठकर खाना खाने से बीमारियां दूर हो जाती हैं।
बिल्व वृक्ष: बिल्व यानी बेल के पेड़ में भगवान शिव और लक्ष्मीजी का निवास होता है। ग्रंथों में बताया गया है कि इस पेड़ को दर्शन और छूने भर से ही दिनभर के जाने-अनजाने में हुए दिनभर के पाप खत्म हो जाते हैं।
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