गोविंद - शालिग्राम शंख-घंटा-घडिय़ाल की ध्वनि से जगे ठाकुर जी -देवउठनी एकादशी पर मंदिरों में सजी विशेष झांकियां
जयपुर। चातुर्मास के चार माह में क्षीर सागर में शयन कर रहे सृष्टि के पालक भगवान विष्णु को कार्तिक शुक्ल देवउठनी एकादशी को उत्तिष्ठोत्तिष्ठ गोविंद उत्तिष्ठ गरुड़ध्वज, उत्तिष्ठ कमलाकांत त्रैलोक्यं मंगलं कुरु... मंत्र और शंख, घंटा, घडिय़ाल की मधुर ध्वनि के साथ जगाया गया। ठाकुर जी को जगाने के बाद गुनगुने जल से स्नान कराकर पंचामृत से अभिषेक किया गया। नवीन पोशाक धारण कराकर आकर्षक श्रृंगार किया गया।
छोटीकाशी के सभी मंदिरों में देव प्रबोधिनी एकादशी पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही। आराध्य देव गोविंददेव जी मंदिर में धूप झांकी के बाद शालिग्राम जी को चौकी पर विराजमान कर मंदिर के दक्षिण पश्चिम कोने स्थित तुलसी मंच पर लाकर विराजमान किया गया। मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी ने वेदमंत्रों के साथ शालिग्रामजी का पंचामृत अभिषेक और पूजन कर आरती उतारी। तुलसी महारानी जी और शालिग्राम जी की चार परिक्रमा के बाद शालिग्राम जी को चांदी के रथ पर विराजमान कर मंदिर की एक परिक्रमा कराई गई। इस दौरान परिक्रमा मार्ग में संकीर्तन और वाद्य यंत्रों की स्वर लहरियां गूंजायमान होती रही। इसके बाद बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने शृंगार आरती के दर्शन किए। इस मौके पर ठाकुर जी को लाल जामा पोशाक धारण कराकर विशेष श्रंृगार किया गया।
सरस निकुंज में सजी परिणय झांकी: सुभाष चौक पानो का दरीबा स्थित श्री शुक संप्रदाय की प्रधान पीठ श्री सरस निकुंज में शुक संप्रदाय पीठाधीश्वर अलबेली माधुरीशरण महाराज के सान्निध्य में देव प्रबोधिनी एकादशी महोत्सव उत्साह और उमंग के साथ मनाया गया। श्री सरस परिकर के प्रवक्ता प्रवीण बड़े भैया ने बताया कि सुबह ठाकुर राधा सरस बिहारी सरकार को मधुर स्वर लहरियों के बीच जगाया गया। स्नान और अभिषेक के बाद नवीन पोशाक धारण कराकर ऋतु पुष्पों से श्रृंगारित किया गया। इसके बाद तुलसी और शालिग्राम जी को विवाह मंडप में विराजमान कर परिणय सूत्र की झांकी सजाई गई। श्रद्धालुओं ने परिणय झांकी की परिक्रमा की। शाम को श्रृंगार और विवाह के पदों का गायन किया गया। पुरानी बस्ती स्थित गोपीनाथ जी, चौड़ा रास्ता स्थित राधा दामोदर, मदन गोपाल जी, रामगंज स्थित लाड़लीजी सहित अन्य मंदिरों में देवउठनी एकादशी पर ठाकुर जी को जगाया गया। तुलसी और शालिग्राम जी का विवाह करवाया।
कई स्थानों पर हुए तुलसी-शालिग्राम विवाह:
देवउठनी एकादशी पर प्राय: हर मंदिर में तुलसी-शालिग्राम जी का विवाह हुआ। श्रीमन्न नारायण प्रंन्यास मंडल की ओर से महामंडलेश्वर पुरूषोत्तम भारती के सान्निध्य में सीकर रोढ ढहर के बालाजी के परसरामनगर स्थित श्रीमन्न नारायण धाम से देव प्रबोधिनी एकादशी पर तुलसी-शालिग्राम जी का विवाह करवाया गया। तुलसी जी को चूनरी ओढ़ाकर विशेष श्रृंगार किया गया। मंदिर से शालिग्राम जी लाकर तुलसीजी के साथ फेरे करवाए गए। इस दौरान कॉलोनी की महिलाओं ने विवाह के गीत गाए।
पंच भीष्मक शुरू: देव प्रबोधिनी एकादशी से पंच भीष्मक भी शुरू हो गए हैं जो देव दीपावली तक चलेंगे। पंच भीष्मक के पांच दिनों में स्नान और दान पर विशेष जोर रहेगा। ज्योतिषाचार्य अक्ष्य गौतम ने बताया किकार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी से पूर्णिमा तक के अंतिम पांच दिनों को पुण्यशाली मानने की मान्यता होने के कारण इन पांच दिनों में स्नान पर जोर रहेगा। अगर कोई कार्तिक मास के सभी दिन स्नान नहीं कर पाया तो उसे अंतिम पांच दिन सुबह सूर्योदय से पहले स्नान कर लेने से संपूर्ण कार्तिक मास के प्रात:स्नान के पुण्यों की प्राप्ति कही गई है। इन पांच दिनों में श्रीविष्णुसहस्रनाम और गीता पाठ करना विशेष लाभकारी बताया गया है।
Comments
Post a Comment