इस बार आस्था कि तिथियों कि त्रिवेणी, एकादशी 26, प्रदोष 28 और अमावस्या 30 अप्रैल आएगी

सभी व्रतों में एकादशी व्रत को श्रेष्ठ माना जाता है

जयपुर।  वैशाख के चलते इस सप्ताह तीन तिथियां वरूथिनी एकादशी, प्रदोष और शनिश्चरी अमावस्या श्रद्धालुओं के लिए खास रहेगी। एकादशी 26, प्रदोष 28 और अमावस्या 30 अप्रैल को है। एकादशी पर भगवान विष्णु और अमावस्या पर शनिदेव का तिल-तेल से अभिषेक कर पूजा-आराधना की जाएगी। प्रदोष पर भगवान शिव की पूजा का खास दिन होता है। वैशाख में उनकी जलहरी पर जल कलश लगाने से विशेष पुण्य लाभ मिलता है। वरूथिनी एकादशी को कल्यणकारी और पापनाशिनी माना जाता है, जबकि शनिश्चरी अमावस्या पर स्नान-दान का अत्याधिक महत्व है।


लक्ष्मी-विष्णु पूजा: शास्त्रों में सभी व्रतों में एकादशी का व्रत श्रेष्ठ है। वरूथिनी एकादशी का व्रत रखकर लक्ष्मी और विष्णु की पूजा करने से कष्टों का निवारण होता है। इस व्रत को पितरों के निमित्त किए जाने का पुराणों में उल्लेख है। वैशाख में कृष्ण पक्ष की वरूथिनी एकादशी 26 अप्रैल को है। पं. अक्षय गौतम का कहना है कि इस दिन बृहस्पति ग्रह कुंभ राशि में रहेंगे, जो शुभफल प्रदान करेंगे। विष्णु को तुलसी युक्त पंचामृत का भोग लगाना चाहिए।

शिव पूजा का खास दिन प्रदोष बिल्व पत्र से शृंगारइस महीने प्रदोष 28 अप्रैल को है। प्रदोष, शिव पूजा के लिए विशेष दिन होता है। वैशाख महीने में भगवान शिव का जलाभिषेक और उनकी प्रतिमा पर जल कलश लगाने से विशेष पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इस दिन शाम के वक्त प्रदोष काल में पूजा करना श्रेष्ठ माना जाता है। शिव का अभिषेक कर उनका चंदन, पुष्प व बिल्व पत्र आदि से शृंगार कर पूजा-आरती की जाती है। अनेक लोग व्रत भी रखते हैं।

अमावस्या पर शनि का अाधिपत्य कहलाता है: 
30 अप्रैल को शनिवार और अमावस्या होने से यह शनिश्चरी अमावस्या रहेगी। अमावस्या शनि के अाधिपत्य वाली तिथि होती है। शनि 29 अप्रैल को मकर से कुंभ में प्रवेश करेंगे। यह उनके अधिपत्य वाली राशि है। अपनी राशि में रहने से वे अधिकांश राशियों के जातकों को शुभफल देंगे। इस दिन जरूरतमंदों को भोजन व वस्त्रों का दान करने का शास्त्रों में उल्लेख है। अमावस्या पर शनि मंदिरों में शनिदेव का तिल-तेल से अभिषेक व विशेष पूजा की जाएगी।


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