धर्म प्रवाह डेस्क। हर व्यक्ति का कोई न कोई रोल मॉडल होता है जिससे वो कुछ सीखता है उसके जैसा आचरण करता है या करने की कोशिश करता है परंतु हमारा रोल मॉडल कैसा हो ये बात भी बहुत मायने रखती है हमारे रोल मॉडल भी आदर्शवान हो तभी हम उनके जीवन से कुछ सिख सकेंगे ऐसे ही एक महान जीवनशैली लिए हुए जिनके अंदर अटूट शक्ति , समर्थ , विश्वास , एवं अपने स्वामी के प्रति समर्पण है ऐसे हमारे हनुमान जी महाराज उनके जीवन से हम बहुत कुछ सिख सकते है प्रमुखता से आज हम उनके 6 विशेषताओं के बारे में आप को बताएंगे जिसके माध्यम से आप कुछ नया सिख कर उसको अपने जीवन मे धारण कर अपने जीवन को परम वैभव तक ले जा सकते है।जयाेतिषार्चाय पं अक्षय गाैतम के अनुसार ।
1. योगदान : हनुमान जी महाराज सम्मान मिले ऐसा सोच कर नही बल्कि मेरे द्वारा मेरे स्वामी का क्या कार्य हो सके मैं उसमे क्या योगदान कर सकता हु इस भाव से चले उसी तरह हमे भी सदा लोगो का सहयोग करते रहना चाहिए सम्मान अपने आप ही मिलता रहेगा परंतु याद रखे बहुत अधिक सम्मान भी प्रगति के राह में बाधक होता है ।
2. कृतज्ञता : हनुमान जी महाराज का मानना है कि किसी भी मनुष्य की सफलता में केवल उसके अकेले का योगदान नही होता बहुत सारे लोगो का सहयोग होता है तो उन सभी सहयोगियों के प्रति सदा कृतज्ञ रहे उनका सदा धन्यवाद करते रहे सफलता सदा कदम चूमती रहेगी ।
3. योजना : हम अगर हनुमान जी के जीवन को देखेंगे तो पाएंगे कि उनके हर कार्य के पीछे एक योजना होती थी वो पहले योजना बनाते थे फिर उस कार्य को करते थे हमे भी किसी कार्य को करने से पूर्व उसकी योजना का निर्माण अवश्य करना चाहिए तभी हम कभी किसी कार्य मे विफल नही होगे ।
4. जोखिम : जीवन मे बड़े कार्यो को करने के लिए कई बार जोखिम (रिस्क ) भी लेना पड़ता है हनुमान जी महाराज जब लंका जा रहे थे तो रास्ते मे उन्हें सुरसा नामक के राक्षसी मिली जिसने हनुमान जी को कहा कि मैं तुम्हे खा जाऊँगा हनुमान जी ने तुरंत छोटा रूप धरण करके उसके मुख में चले गए और बाहर भी आ गए उनके इस साहस से सुरसा को उनके शक्ति का भी पता चल गया और सुरसा ने हनुमान जी को प्रणाम करके उन्हें रास्ता दिया उस प्रकार हम सभी भी अपने जीवन में अपने साहस के अनुरूप जोखिम उठा कर कुछ बड़ा अवश्य कर सकते है ।
5. वचन के पक्के : हनुमान जी महाराज ने सदा जो कहा उसे 100% पूरा किया हमे भी अपने जीवन मे इस बात का सदा ध्यान रखना चाहिए कि हम जो कहे उसे 100% पूरा करे और अगर जो न कर सके उसके लिए कभी हां न करे । इससे आप की बात में सदा सच्ची रहेगी और लोग आप पर विश्वास भी कर पाएंगे ।
6.विजय का संयोजन : हमारी विजय तभी होगी जब हम दूसरी की विजय में भी सहयोग करेंगे जैसे कि हनुमान जी महाराज ने विभीषण को श्रीराम से मिलवा कर रावण पर विजय प्राप्त करने में सहयोग किया उसी तरह हमे भी दूसरे के विजय में सहयोग करते रहना चाहिए हमारी विजय स्वतः होती जाएगी ।
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