जयपुर । वैशाख का महीना अप्रैल से मई में शुरू होता है। विशाखा नक्षत्र से संबंध होने के कारण इसे वैशाख कहा जाता है। भगवान विष्णु को माघ, कार्तिक और वैशाख महीने प्रिय हैं। धर्म, तप, यज्ञ और स्नान-दान के लिए वैशाख महीना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इसे माधव मास भी कहते हैं। इसमें प्याऊ और जल केंद्रों की स्थापना करना शुभ होता है। इस महीने वरुथिनी, मोहिनी एकादशी, अक्षय तृतीया, गंगा सप्तमी, सतुवाई अमावस्या और वैशाखी पूर्णिमा भी हैं। जिनमें किए गए शुभ कार्यों को अक्षय फल मिलता है। इस बार वैशाख का महीने 17 अप्रैल से 16 मई तक रहेगा। इस दौरान 6 दिन सर्वार्थ सिद्धि, 1 अमृत सिद्धि, 7 और 8 मई को शनि और पुष्य नक्षत्र योग रहेंगे। इन योग में खरीदारी करना शुभ है।
भगवान विष्णु और देवी उपासना का खास महीना
वैशाख विशेष रूप से भगवान विष्णु, देवी और परशुरामजी की उपासना का महीना है। श्रीहरि की पूजा, गंगा और अन्य पवित्र नदियों में स्नान-दान का कई अधिक फल मिलता है। इस माह अच्छे स्वास्थ्य के लिए जल के साथ सत्तू का सेवन लाभकारी होता है।
किन चीजों का लगाए भोग
ज्योतिषाचार्य पं अक्षय शास्त्री के अनुसार वैशाख महीने में भगवान विष्णु को पंचामृत और तुलसी दल का भोग लगाना चाहिए। सफेद और पीले पुष्प का पूजा में उपयोग करना चाहिए। वहीं इस माह प्यासे को पानी पिलाने से गंगा स्नान का फल मिलता है।
वैशाक मास के व्रत-त्योहार
19 अप्रैल - संकट चतुर्थी
23 अप्रैल - कालाष्टमी
26 अप्रैल - वरुथिनी एकादशी
27 अप्रैल - संत सेन जयंती
29 अप्रैल - शिव चतुर्दशी
3 मई - अक्षय तृतीया, भगवान परशुराम जयंती
4 मई - विनायकी चतुर्दशी
8 मई - गंगा सप्तामी
10 मई - सीता नवमी
12 मई - मोहिनी एकादशी
13 मई - प्रदोष व्रत
14 मई - भगवान नृसिंहदेव प्रकटोत्सव
15 मई - सत्यनारायण व्रत, केवट जयंती
16 मई - सोमवती पूर्णिमा, बुद्ध जयंती, वैशाख स्नान पूर्ण
वैशाख महीने के शुभ मुहूर्त
सर्वार्थ सिद्धि योग: 28 अप्रैल - शाम 6.21 से 29 अप्रैल रात्रि 12.30 बजे तक। 4 मई- सूर्योदय से रात 12.38 बजे तक। 6 मई- सुबह 6.48 से रात 11.38 बजे तक। 14 मई- दोपहर 3.57 से रात्रि 11.56 बजे तक। 16 मई - दोपहर 1.56 से रात 12.50 बजे तक।
अमृत सिद्धि योग: 29 अप्रैल को सूर्योदय से शाम 6.52 बजे तक।
पुष्य नक्षत्र योग: 7 मई को सुबह 9.20 से 8 अप्रैल को सुबह 11.37 बजे तक।
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