धर्म प्रवाह डेस्क। वैशाख अमावस्या 30 अप्रैल 2022 को शनिवार होने से शनैश्चरी अमावस्या का संयोग बना है। इसके साथ ही इस दिन खंडग्रास सूर्यग्रहण भी पड़ने वाला है। हालांकियह सूर्यग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। इसलिए इसके सूतक आदि कर्म भी मान्य नहीं होंगे। शास्त्रों में स्पष्ट वर्णित है किजो ग्रहण दृश्य नहीं होता उसका सूतक आदि नहीं माना जाता है। लेकिन इस दिन शनैश्चरी अमावस्या होने से यह दिन दान-पुण्य, जप-तप के लिए विशेष महत्व रखता है।
वैशाख अमावस्या की रात्रि अर्थात् 30 अप्रैल- 1 मई की मध्य रात्रि में खंडग्रास सूर्यग्रहण रात्रि 12.15 बजे प्रारंभ होगा जो प्रात: 4.28 बजे तक रहेगा। कुल 4 घंटे 13 मिनट ग्रहण की अवधि रहेगी। यह वर्ष 2022 और नव संवत्सर 2079 का पहला ग्रहण होगा जो दिखाई नहीं देगा।
अमावस्या 29 अप्रैल को रात्रि में 12.57 बजे से प्रारंभ होकर 30 अप्रैल को मध्यरात्रि में 1.56 बजे तक रहेगी। इसलिए अमावस्या का पुण्यकाल 30 अप्रैल को पूरे दिन रहेगा। इस दिन शनैश्चरी अमावस्या होने से शनिदेव की प्रसन्नता के लिए विशेष शुभ अवसर रहेगा। शनि मंदिरों में तेल-तिल का दान करें। शनि स्तोत्र, स्तवराज आदि का पाठ करें। पवित्र नदियों में स्नान, जप-तप करें।
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