15 मई को संयोग:रविवार को सूर्य संक्रांति होने से बढ़ेगा अर्घ्य और स्नान का पुण्य, इस दिन खरीदारी का शुभ मुहूर्त भी
जयपुर। वृष लग्न में संक्रांति का पुण्यकाल होना शुभ रहेगा। स्थिर लग्न होने से इस समय किए गए शुभ कामों का फल स्थिर होता है। यानी स्नान-दान से मिलने वाला पुण्य कभी खत्म नहीं होगा। साथ ही इस दिन दो शुभ योग वरीयान और रवियोग बन रहे हैं। जिससे ये दिन और भी खास हो जाएगा। इन योगों की वजह से इस दिन नए कामों की शुरुआत और खरीदारी करना शुभ रहेगा।
शुभ ग्रह स्थिति
इस संक्रांति पर सूर्य अपने मित्र ग्रह बुध से युति बनाएगा और बुध के साथ अपने ही नक्षत्र में रहेगा। इस संक्रांति पर्व पर सूर्य-राहु का अशुभ योग भी खत्म होगा। ग्रहों की ये स्थिति सभी के लिए शुभ फलदाई रहेगी। साथ ही तिथि, वार और नक्षत्र के संयोग से 2 शुभ योग बनने से इस पर्व पर हर तरह की खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त भी रहेगा।
रविवार को अर्घ्य और स्नान-दान से बढ़ेगा पुण्य
रविवार को सूर्योदय से पहले सूर्य राशि बदलकर कुंभ में चला जाएगा। इसलिए रविवार को तीर्थ स्नान के बाद उगते सूरज को अर्घ्य देने और जरुरमंद लोगों को दान देने का पुण्य फल और बढ़ जाएगा। क्योंकि इस दिन का स्वामी सूर्य होता है। इस दिन वैशाख महीने की चतुर्दशी और पूर्णिमा रहेगी। इन पुष्करणी तिथि के कारण भी इस पर्व का महत्व और बढ़ जाएगा। क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु का कूर्म अवतार हुआ था। ग्रंथों में सूर्य को भगवान विष्णु का ही स्वरूप मानकर सूर्य नारायण रूप में पूजा करने का विधान बताया है।
इस दिन तिल का खास महत्व
सूर्य ग्रह सत्ता, प्रबंध, सरकार का स्वामी माना जाता है। इनकी पूजा करने से ऐश्वर्य अधिकार मिलते हैं। संक्रांति के दिन तिल का खास महत्व रहता है। इस पर्व पर सूर्योदय से पहले उठकर पानी में तिल डालकर नहाना चाहिए। सूर्योदय के समय सूर्यदेव को मीठे जल में तिल डालकर अर्घ देना चाहिए। दिन में दूध-पानी में तिल मिलाकर तर्पण करने से पितर संतुष्ट हो जाते हैं। तिल का दान और फिर प्रसाद के रूप में तिल खाने चाहिए।
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