धर्म प्रवाह डेस्क। वैशाख महीने में पूर्णिमा तिथि बौद्धों के लिए सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक है। यह बौद्ध धर्म के संस्थापक गौतम बुद्ध की जयंती का प्रतीक है। इस दिन को बुद्ध पूर्णिमा, बुद्ध जयंती या वेसाक भी कहा जाता है। इस साल बौद्ध प्रबुद्ध की 2584वीं जयंती है। हालांकि पारंपरिक कैलेंडर चंद्र चक्र के अनुसार निर्धारित किया जाता है। इसलिए ग्रेगोरियन कैलेंडर में तारीख हर साल बदलती रहती है। इस साल बुद्ध पूर्णिमा 16 मई को मनाई जाएगी।
बुद्ध पूर्णिमा तिथि का समय
पूर्णिमा तिथि 15 मई को दोपहर 12.45 बजे से 16 मई की सुबह 9.42 बजे तक है।
बुद्ध पूर्णिमा का महत्व
पौराणिका कथाओं के अनुसार सिद्धार्थ गौतम (गौतम बुद्ध) का जन्म लुंबिनी में राजा शुद्धोदन और मायादेवी से हुआ था। वह कपिलवस्तु में एक आलीशान महल में पले-बढ़े। हालांकि उन्होंने कम उम्र में भौतिकवादी सुखों और अपव्यय को त्याग दिया। उन्होंने मानवीय कष्टों को देखने के बाद शाश्वत सत्य की खोज की। इस प्रकार एक शाही परिवार में जन्म सिद्धार्थ, प्रबुद्ध बन गए। उन्होंने एक बरगद के पेड़ के नीचे ध्यान करते हुए ज्ञान प्राप्त किया। सालों बाद बोधगया में ज्ञान प्राप्त करने के बाद गौतम बुद्ध ने सारनाथ में अपना पहला उपदेश दिया। ऐसा कहा जाता है कि बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त करने के पांच सप्ताह बाद बोधगया से सारनाथ की यात्रा की। जब गौतम बुद्ध बोधगया में थे। तब उनके पांच तपस्वी शिष्य पंचवर्गिका, सारनाथ में ऋषिपटन गए थे। ज्ञान प्राप्त करने के बाद बुद्ध ने अपना पहला उपदेश देने के लिए सारनाथ की ओर प्रस्थान किया। इसलिए दुनिया भर के बौद्ध शांति, भाईचारे और सद्भाव के सबसे बड़े अधिवक्ताओं में से एक को श्रद्धांजलि देने के लिए बुद्ध पूर्णिमा मनाते हैं।
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