उत्तराखंड चारधाम यात्रा: 3 मई को गंगोत्री-यमुनोत्री के खुलेंगे कपाट, बद्रीनाथ में 15 हजार और केदारनाथ में 12 हजार लोग रोज कर सकेंगे दर्शन


धर्म प्रवाह डेस्क। उत्तराखंड की चारधाम धाम यात्रा मंगलवार, 3 मई से शुरू हो रही है। 3 मई को यमुनोत्री और गंगोत्री के कपाट खुल जाएंगे। 6 मई को केदारनाथ और 8 मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलेंगे। यात्रा के पहले चरण में 45 दिनों तक चार धाम की यात्रा करने वाले लोगों की संख्या निर्धारित की गई है।

बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ के मुताबिक आने वाले 45 दिनों तक सीमित संख्या में भक्त चारधाम के मंदिरों में दर्शन कर सकेंगे। इस साल कोरोना जांच लेकर आने का प्रतिबंध नहीं है। कोरोना जांच लेकर आना ऐच्छिक है, लेकिन मास्क लगाना और सामाजिक दूरी का पालन जरूरी रहेगा।

बद्रीनाथ धाम में हर रोज 15 हजार लोग, केदारनाथ धाम में 12 हजार लोग, गंगोत्री में सात हजार लोग और यमुनोत्री में 4 हजार लोग रोज दर्शन कर सकेंगे। यहां आने वाले सभी भक्तों को चारधाम मंदिर की ऑफिशियल वेबसाइट पर अपना और अपने वाहन का रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इसके बाद ही भक्त चारधाम यात्रा में शामिल हो सकेंगे।

अगर कोई व्यक्ति भौतिक रूप से पंजीकरण कराना चाहता है तो हरिद्वार, ऋषिकेश, बड़कोट, जानकीचट्टी, हीना, उत्तरकाशी, सोनप्रयाग, जोशीमठ, गौरीकुंड, गोविंद घाट और पाखी में रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। केदारनाथ धाम के लिए हवाई सेवा भी रहेगा। इसके लिए हवाई जहाज की बुकिंग हेली सर्विस की वेबसाइट पर करानी होगी।

यमुना नदी का उद्गम स्थल यमुनोत्री और गंगा नदी का उद्गम स्थल है गंगोत्री। ये दोनों तीर्थ उत्तरकाशी जिले में हैं। शिव जी का 11वां ज्योतिर्लिंग केदारनाथ है। ये मंदिर रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। देश और उत्तराखंड के चारधामों में से एक है विष्णु जी का बद्रीनाथ धाम। ये मंदिर चामोली जिले में है।

3 मई को खुलेगा यमुनोत्री धाम

यमुनोत्री मंदिर समुद्रतल से 3235 मी. ऊंचाई पर है। यहां देवी यमुना का मंदिर है। यहीं यमुना नदी का उद्गम स्थल भी है। यमुनोत्री मंदिर टिहरी गढ़वाल के राजा प्रतापशाह ने बनवाया था। इनके बाद मंदिर का जिर्णोद्धार जयपुर की रानी गुलेरिया ने करवाया था।

3 मई को खुलेगा गंगोत्री धाम

गंगोत्री से गंगा नदी का उद्गम होता है। यहां देवी गंगा का मंदिर है। समुद्र तल से ये मंदिर 3042 मीटर की ऊंचाई पर है। ये स्थान जिला उत्तरकाशी से 100 किमी की दूर है। हर साल गंगोत्री मंदिर मई से अक्टूबर तक के लिए खोला जाता है। बाकी समय में यहां का वातावरण प्रतिकूल रहता है, इसीलिए मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं। इस क्षेत्र में राजा भागीरथ ने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए तप किया था। शिवजी यहां प्रकट हुए और उन्होंने गंगा को अपनी जटाओं में धारण कर उसका वेग शांत किया था। इसके बाद इसी क्षेत्र में गंगा की पहली धारा भी गिरी थी।

6 मई को खुलेंगे केदारनाथ धाम

केदारनाथ उत्तराखंड के चार धामों में तीसरे नंबर पर है। ये मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में 11वां है और सबसे ऊंची जगह ज्योतिर्लिंग है। महाभारत काल में यहां शिवजी ने पांडवों को बेल के रूप में दर्शन दिए थे। ये मंदिर आदिगुरु शंकराचार्य ने बनवाया था। मंदिर करीब 3,581 वर्ग मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और गौरीकुंड से करीब 16 किमी दूरी पर है। ऐसा माना जाता है कि 8वीं-9वीं सदी में आदिगुरु शंकराचार्य ने मौजूदा मंदिर बनवाया गया था।

8 मई को खुलेंगे केदारनाथ धाम

बद्रीनाथ के संबंध में कथा प्रचलित है कि भगवान विष्णु ने इसी क्षेत्र में तपस्या की थी। उस समय महालक्ष्मी ने बदरी यानी बेर का पेड़ बनकर भगवान विष्णु को छाया दी थी और खराब मौसम में रक्षा की थी। लक्ष्मी जी के इस समर्पण से भगवान प्रसन्न हुए थे और उन्होंने इस जगह को बद्रीनाथ नाम से प्रसिद्ध होने का वर दिया था।

बद्रीनाथ धाम में विष्णुजी की एक मीटर ऊंची काले पत्थर की मूर्ति स्थापित है। आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा निर्धारित की गई व्यवस्था के अनुसार बद्रीनाथ मंदिर का मुख्य पुजारी दक्षिण भारत के केरल राज्य से होता है। ये मंदिर करीब 3100 मीटर ऊंचाई पर स्थित है।

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