धर्म प्रवाह डेस्क। वैशाख शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरसिंह जयंती मनाई जाती है। मान्यताओं और धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इसी दिन भगवान विष्णु ने नरसिंह के रूप में अवतार लिया था और हिरण्यकश्यप का वध किया था। नरसिंह अवतार में भगवान विष्णु ने आधे सिंह और आधे मानव के रूप में अवतार लिया था। इस अवतार में उनका चेहरा और पंजे सिंह की तरह थे और शरीर का बाकी हिस्सा मानव की तरह था। 14 मई को नरसिंह जयंती मनाई जाएगी और मंदिरों में विशेष पूजा-पाठ किया जाएगा। आइए जानते हैं नरसिंह जयंती की पूजा विधि और महत्व के बारे में।
पूजन विधि: सुबह जल्दी उठकर पवित्र जल से स्नान करके नए वस्त्रों को धारण करें। पूजास्थल को साफ करें और विधिवत प्रतिमा या तस्वीरों की स्थापना करें। जयंती के इस दिन नरसिंह जी के साथ-साथ लक्ष्मी पूजन भी किया जाता है। पूजा के बाद देवताओं को नारियल, मिठाई, केसर और फलों का भोग लगाएं। नरसिंह जयंती पर भगवान नरसिंह का व्रत सूर्योदय के समय आरंभ होकर सूर्योदय पर ही समाप्त हो जाता है।
नरसिंह जयंती का महत्व: यह जयंती बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक मानकर मनाई जाती है। इस दिन को नरसिंह जी के भक्त पूजा और व्रत करते हैं। मान्यता है कि नरसिंह जयंती के दिन आराधना और पूजन करने से समृद्धि, साहस और सफलता की प्राप्ति होती है।
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