ज्येष्ठ कि तपिस में दान की राहत ....पशु पक्षियों के लिए बांट रहे सिकारे तो राहगीरों कि प्यास बुझाने के लिए खोली प्याऊ
प्रभु श्रीराम से हनुमानजी इसी माह मिले थे, दोनों की पूजा का महत्व
ज्येष्ठ मास में ही भगवान हनुमान की श्रीरामचंद्र से भेंट हुई थीं। इसलिए ज्येष्ठ मास में हनुमानजी की पूजा और श्रीराम की आराधना का अलग ही महत्व है। जैसे ज्येष्ठ मास में हर मंगलवार, गुरुवार और शनिवार को सरसों के तेल का दीपक जलाकर यदि सुंदरकांड का पाठ करें तो बड़े से बड़े कष्ट से मुक्ति मिलती है। इसी तरह से राम दरबार का चित्र रख उसके सामने घी का दीया जलाकर यदि रामरक्षा स्रोत का पाठ करे तो पारिवारिक क्लेश और दांपत्य जीवन में आ रही बाधाओं से मुक्ति मिलती है। हर मंगलवार को हनुमानजी को 21 लौंग की माला चढ़ाने से विवाह संबंधी कष्ट दूर होते है। वैसे भी ज्येष्ठ मास का यह नाम इस माह में सूर्य की ज्येष्ठा के कारण ही पड़ा है।
19 मई
रात 10.19 बजे चंद्रोदय होने पर गणेशजी की पूजा करे। चंद्र को अर्घ्य दें। सभी कष्ट दूर होंगे।
22 मई
कालाष्टमी और भानू सप्तमी है। सुबह सूर्य की आराधना कर शाम को काली मां के दर्शन करें।
26 मई
गुरुवार को अपरा एकादशी है। इस दिन विष्णु भगवान का पूजन करने से सुख-समृद्धि आती है।
27 मई
शुक्रवार को प्रदोष व्रत है। शिवजी का पूजन करने से धन लाभ और पारिवारिक सुख की प्राप्ति।
29 मई
रविवार को वट सावित्री व्रत है। इस दिन महिलाएं अखंड सुहाग के लिए व्रत रखती हैं।
30 मई
सोमवार को सोमवती अमावस्या और शनि जयंती है। इस दिन शहर में कई खास आयोजन होंगे।
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