सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या से जुड़ी 10 बातें:अमावस्या पर नदियों में स्नान करने की और नदी किनारे पिंडदान-तर्पण करने परंपरा, घर पर करें धूप-ध्यान

धर्म प्रवाह डेस्क, जयपुर। पितृ पक्ष की अमावस्या 25 सितंबर (रविवार) को है। इसके बाद 26 तारीख से नवरात्रि शुरू हो जाएगी। अभी आश्विन माह चल रहा है और इस माह का कृष्ण पक्ष यानी शुरू की 15 तिथियां पितरों को समर्पित हैं। इन दिनों में पितरों के लिए पिंडदान, तर्पण, धूप-ध्यान और श्राद्ध कर्म करने की परंपरा है। पितृ पक्ष का समापन सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या पर होता है।
अमावस्या का महत्व एक पर्व की तरह ही है। इस पर्व के बारे में और अधिक जानने के लिए हमने हमने सीकर के पं अश्वनी मिश्रा से बात की है। जानिए पं. मिश्रा के मुताबिक सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या से जुड़ी 10 खास बातें... एक साल में कुल 12 अमावस्या आती हैं। जब किसी वर्ष में अधिकमास रहता है, तब इस तिथि की संख्या 13 हो जाती है। अमावस्या पर हिन्दी माह का कृष्ण पक्ष आधा महीना खत्म होता है। अमावस्या को भी पर्व की तरह माना जाता है। इसलिए देशभर की सभी पवित्र नदियों में स्नान के लिए लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। मान्यता है कि नदी में स्नान करने से अक्षय पुण्य मिलता है और जाने-अनजाने में किए गए पाप कर्मों का फल खत्म होता है। नदी के स्नान के बाद नदी के जल से ही सूर्य को अर्घ्य अर्पित करना चाहिए। सूर्य को अर्घ्य देते समय ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जप करें। पितृ पक्ष की अमावस्या पर पितरों के लिए नदी किनारे पिंडदान, तर्पण और धूप-ध्यान करने का विशेष महत्व है। अगर नदी किनारे श्राद्ध कर्म नहीं कर पा रहे हैं तो अपने घर पर ही धूप-ध्यान करें। इसके लिए जलते हुए कंडे पर गुड़-घी अर्पित करना चाहिए। हथेली में जल लेकर अंगूठे की ओर से पितरों को जल चढ़ाएं। नदी में स्नान करने के बाद वहीं नदी किनारे पर ही जरूरतमंद लोगों को दान देना चाहिए। दान में अनाज, धन, कपड़े, खाना दिया जा सकता है। आप चाहें तो जूते-चप्पल भी दान कर सकते हैं। इस दिन किसी मंदिर में शिवलिंग पर तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं। चांदी के लोटे से दूध चढ़ाएं। बिल्व पत्र, धतूरा, हार-फूल और अन्य पूजन सामग्री अर्पित करें। चंदन से तिलक लगाएं। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें। दीपक जलाकर आरती करें। रविवार को अमावस्या होने से इसका महत्व और अधिक बढ़ गया है। इस दिन सूर्य देव के लिए भी दान-पुण्य करना चाहिए। सूर्य की चीजें जैसे गुड़, तांबा, लाल वस्त्र का दान करें। किसी मंदिर में पूजन सामग्री का गुप्त दान करें। गौशाला में घास और धन का दान करें। अमावस्या पर हनुमान जी के सामने दीपक जलाएं और सुंदरकांड या हनुमान चालीसा का पाठ करें। देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा भी इस तिथि पर करनी चाहिए। अमावस्या पर लक्ष्मी-विष्णु का अभिषेक करें। इसके लिए दक्षिणावर्ती शंख में दूध भरें और भगवान की प्रतिमा पर चढ़ाएं।

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