जयपुर। जयपुर विकास प्राधिकरण (JDA) के जोन-9 में घूसखोरी के एक बड़े खेल का पर्दाफाश हुआ है। राजस्थान एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की 40 दिन लंबी सघन निगरानी के बाद 23 अगस्त को तहसीलदार, पटवारी और अन्य कर्मचारियों समेत कुल 6 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया। इन सभी पर 13 लाख रुपये की रिश्वत मांगने का आरोप है, जो उन्होंने कृषि भूमि को 90बी (रिहायशी भूमि) में बदलने के नाम पर पीड़ित से वसूली थी।
शिकायत और एसीबी की कार्रवाई
घटना की शुरुआत 4 जुलाई को हुई जब पीड़ित ने एसीबी में शिकायत दर्ज कराई कि जेडीए जोन-9 के अधिकारी उसकी कृषि भूमि के कन्वर्जन के लिए रिश्वत मांग रहे हैं। इस शिकायत के आधार पर एसीबी ने 12 जुलाई से अपनी कार्रवाई शुरू की। सबसे पहले गिरदावर विमला देवी का सत्यापन किया गया, जिसमें उसने अपने मोबाइल पर रिश्वत की राशि बताई, लेकिन इस बातचीत का वीडियो सबूत नहीं मिल सका।
एसीबी की टीम ने 22 जुलाई को सफलतापूर्वक रिश्वत की डील का वीडियो सबूत भी इकट्ठा कर लिया। इसके बाद एक-एक कर सभी आरोपियों का सत्यापन हुआ। रुक्मणि, खेमराज मीणा, लक्ष्मीकांत गुप्ता और श्रीराम शर्मा जैसे अन्य कर्मचारियों का भी सत्यापन किया गया, जो रिश्वत के इस खेल में शामिल थे।
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दलाल की भूमिका और एसीबी की गिरफ्तारी
जांच के दौरान, यह सामने आया कि विमला देवी के पति, महेश मीणा, जो कि दलाल की भूमिका निभा रहा था, ने पीड़ित से 13 लाख 20 हजार रुपये की डिमांड की थी। इनमें से 1 लाख रुपये तहसीलदार लक्ष्मीकांत गुप्ता के लिए, 1 लाख रुपये गिरदावर रुक्मणि के लिए, और शेष राशि अन्य कर्मचारियों के बीच बांटी जानी थी।
22 अगस्त तक एसीबी की निगरानी और जांच जारी रही, जिसके बाद 23 अगस्त को एसीबी ने सभी 6 कर्मचारियों को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।
एसीबी की कार्रवाई का असर
इस कार्रवाई ने न केवल जेडीए जोन-9 में चल रहे भ्रष्टाचार का पर्दाफाश किया, बल्कि सरकारी तंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही की जरूरत को भी उजागर किया। एसीबी की इस कार्रवाई ने साफ संदेश दिया है कि भ्रष्टाचार में लिप्त किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को बख्शा नहीं जाएगा।

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