डेंगू और स्क्रब टाइफस की बढ़ती घटनाएं
एसएमएस अस्पताल में दौसा, अलवर, करौली और भरतपुर से अधिकतर मरीज आ रहे हैं, जिनमें 25 से 30 गंभीर हालत में हैं। डेंगू और स्क्रब टाइफस के मामलों में वृद्धि देखी गई है, जिससे अस्पताल में ओपीडी में मरीजों की संख्या 1500-2000 से बढ़कर 3500-4000 तक पहुंच गई है। इस बार डेंगू के 2800 से अधिक मामलों की पुष्टि की जा चुकी है, जो पिछले साल की तुलना में काफी अधिक है।
गंभीर लक्षण और मौसमी बीमारियों की स्थिति
स्क्रब टाइफस के मरीजों में ब्रेन हेमरेज, कोमा और ऑर्गन फेलियर जैसी गंभीर समस्याएं देखने को मिल रही हैं। इस बीमारी के कारण 6 मरीजों की मौत हो चुकी है। डॉक्टरों के अनुसार, स्क्रब टाइफस के लक्षणों में तेज बुखार, कंपकपी, मांसपेशियों में दर्द, त्वचा पर पपड़ीदार दाने, सूखी खांसी, सीने में दर्द और सांस लेने में कठिनाई शामिल हैं।
स्वास्थ्य विभाग की सलाह: सावधानी बरतें
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि स्क्रब टाइफस का प्रभाव नवंबर तक जारी रहेगा। मौसमी बीमारियों से बचाव के लिए सावधानी रखना जरूरी है। लोगों को शरीर को पूरी तरह ढकने वाले कपड़े पहनने और बगीचों या झाड़ियों के पास न जाने की सलाह दी जा रही है। विशेष रूप से, स्क्रब टाइफस के मरीजों को तेज बुखार, कंपकपी और त्वचा पर पपड़ीदार दानों पर तुरंत ध्यान देना चाहिए।
चिकित्सकों की टिप्पणियां
डॉ. सी.एल. नवल, मेडिसिन रोग विशेषज्ञ, एसएमएस मेडिकल कॉलेज ने बताया कि, "हमारी ओपीडी में मरीजों की संख्या में भारी बढ़ोतरी देखी जा रही है।" वहीं, डॉ. कैलाश मीणा, अधीक्षक, जेकलीन ने कहा कि, "स्क्रब टाइफस बच्चों के दिमाग पर गंभीर असर डाल रहा है, जिसमें तेज बुखार, ब्रेन हेमरेज और कोमा जैसे लक्षण देखे जा रहे हैं।"
दिवाली के बाद राहत की उम्मीद
चिकित्सकों का मानना है कि दिवाली के बाद स्क्रब टाइफस के मामलों में कमी आ सकती है। वर्तमान में, यह महामारी पीक पर है, लेकिन आगामी महीनों में इसके असर में कमी की संभावना है। स्वास्थ्य विभाग ने नागरिकों से अपील की है कि वे सावधानी बरतें और मौसमी बीमारियों से बचने के लिए आवश्यक कदम उठाएं।
Comments
Post a Comment